शिमला, 19 नवंबर : दीपावली की रात घर के आंगन से मासूम बच्चे को उठा कर ले जाने वाली मादा तेंदुआ (Female leopard) अब गिरफ्त में है। हालांकि, फोरेंसिक जांच (Forensic investigation) के बाद इस बात की पूरी तरह से तस्दीक हो पाएगी कि वास्तव में शिकंजे में फंसी इसी मादा तेंदुआ ने ही नन्हें बच्चे को मौत के घाट उतारा था। वन्यप्राणी विभाग के मादा तेंदुआ को पकड़ने के ऑपरेशन (operation ) में एक खास बात सामने आई है।
दरअसल, वो मांस की सुगंध से पिंजरे में कैद नहीं हुई, बल्कि एक कैमिकल (chemical) ‘कैट ल्यूर’ की सुगंध का धोखा खा गई। इसका लेप विभाग ने सातों पिंजरों में किया था। पता चला है कि देहरादून से बुलाई गई वन्यप्राणी विभाग (wildlife department) की टीम ने ही इस कैमिकल के इस्तेमाल का सुझाव दिया था। चूंकि मासूम बच्चे के जंगल में मिले अवशेषों के साथ कपड़े भी बरामद हुए थे। अगर जांच के दौरान फोरेंसिक के मौके से सैंपल जुटाए गए होंगे, तो इसकी मैचिंग पकड़ी गई मादा तेंदुआ के बालों से हो सकती है। इसके आधार पर ही ये तस्दीक हो सकती है कि दिवाली की रात मादा तेंदुआ ही खूंखार होकर घर के आंगन तक पहुंच गई थी।
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अमूमन माना जाता है कि दिवाली के दौरान शोरगुल के कारण वन्य प्राणी जंगलों में ही छिपे होते हैं। लेकिन ये मादा बावजूद इसके घर के आंगन तक शिकार की तलाश में आ गई। इसके पीछे ये वजह भी मानी जा रही है कि मादा के साथ तीन शावक भी भूखे होंगे। इस कारण वो शोरगुल के बावजूद भी घर तक पहुंच गई। गौरतलब है कि विभाग ने मादा तेंदुआ को बीती शाम 7 बजे के आसपास ही पिंजरे में कैद कर लिया था। इसके बाद उसे टूटी कंडी के रेस्क्यू सैंटर (rescue center) भेज दिया गया है।
ये भी अहम…
विभाग का ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है, क्योंकि विभाग पकड़ी गई मादा तेंदुआ के तीन शावकों को भी जंगल से रेस्क्यू करना चाहता है। तीनों ही अपना शिकार करने की हालत में नहीं है। रेस्क्यू करने के बाद शावकों को रेस्क्यू सैंटर में भेजा जाएगा, ताकि वो ठीक तरीके से सरवाइव कर सकें। विभाग को उम्मीद है कि भूखे होने की सूरत में तीनों ही आसानी से पिंजरे (Cage)में आ सकते हैं।
ये भी रही खास बात…
दरअसल, विभाग टै्रप कैमरों के जरिए मादा तेंदुआा की मूवमेंट (movement) पर नजर रख रहा था। पैटर्न समझने के बाद विभाग काफी हद तक ये मान चुका था कि वीरवार को इसकी मूवमेंट उस इलाके में हो सकती है। यह भी समझ लिया गया था कि इलाके में पांच तेंदुए घूम रहे हैं। असल में ये मादा तेंदुआ अपने तीन शावकों के साथ थी। इसी बीच दूसरे इलाके से एक तेंदुआ भी आया था। इसको लेकर ये सनसनी फैल गई कि पांच तेंदुए आसपास मौजूद हैं।
खास बातचीत…
वन्य प्राणी विभाग के एपीसीसीएफ अनिल ठाकुर (APCCF Anil Thakur) ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से इस ऑपरेशन पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि मादा तेंदुआ को पकड़ने के लिए कैट ल्यूर कैमिकल का इस्तेमाल किया गया। इससे जानवर ये समझता है कि जंगली प्राणी की ही सुगंध है। लिहाजा, क्षेत्र सुरक्षित है। अमूमन वन्यप्राणी इंसानी सुगंध को महसूस करने के बाद आसपास नहीं फटकते हैं। ठाकुर ने कहा कि वन्य प्राणी संस्थान देहरादून की टीम ने ही इस केमिकल के इस्तेमाल की सलाह दी थी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत तो ये साफ है कि पिंजरे में कैद मादा तेंदुआ ने ही बच्चे को उठाया था। फोरेंसिक जांच में पूरी तस्दीक भी हो सकती है। उन्होंने माना कि पकडी गई मादा तेंदुआ के तीन शावकों की भी तलाश जारी है। हालांकि, वो इस समय किसी को नुक्सान पहुंचाने की स्थिति में नहीं हो सकते, लेकिन भूखे हो सकते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि पिछला मामले में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तेंदुए ने रात के वक्त दुर्घटनावश बच्चे को उठा लिया था। शायद, वो घर के आंगन से कुत्ते को उठाना चाहता होगा।
अनिल ठाकुर ने कहा कि तेंदुए के पिंजरे में कैद होने के बाद ही ये बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई है कि दिवाली की रात बच्चे पर हमला करने वाली मादा थी।