धर्मशाला, 17 नवंबर : जिला कारागार धर्मशाला 99 सालों से लाला लाजपतराय की कुर्सी को संजोए हुए है। इस कुर्सी को संजोए जाने के लिए बकायदा समय-समय पर जिला कारागार की ओर से रंग रोगन भी कराया जाता है। ये कुर्सी केन व लकड़ी की है। इस कुर्सी को देख आज भी लोग देश की आजादी के लिए आहुति देने वाले लाला लाजपतराय को याद करते हैं।
यही नहीं, जिला कारागार में उनके सम्मान में बकायदा प्रतिमा भी स्थापित है। जहां पर उनकी जयंती व पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर श्रद्धाजंलि भी दी जाती है। ये कुर्सी ब्रिटिश सरकार ने दी थी। जिस पर सजा काटने के दौरान लाला लाजपतराय को लिख सके, उनका रजिस्टर भी जिला कारागार में अभी भी मौजूद हैं। हालांकि उसमें केवल उनके हस्ताक्षर ही हैं।
लाला लाजपतराय ने यहां 8 माह 19 दिन रहे थे…. लाला लाजपतराय 8 माह और 19 दिन यानी 21 अप्रैल, 1922 से लेकर 9 जनवरी, 1923 तक यहां रहे थे। उनके लिए उस समय अलग सैल की व्यवस्था ब्रिटिश सरकार ने की थी। ब्रिटिश सरकार की ओर से लाला लाजपतराय को देशद्रोह के मामले में लाहौर से धर्मशाला शिफ्ट किया गया था और धर्मशाला से उन्हें पुन: लाहौर 9 जनवरी, 1923 को ले जाया गया था।
पुण्यतिथि पर जिला कारागार में श्रद्धा सुमन अर्पित…. लाला लाजतपराय की पुण्यतिथि पर जिला कारागार में श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। यहां पर स्थापित उनकी प्रतिमा के समक्ष कारागार के कर्मियों सहित बंदियों द्वारा श्रद्धासुमन भी अर्पित किए गए। जिला कारागार धर्मशाला के कार्यकारी अधीक्षक विकास भटनागर ने यह कहा लाला लाजपतराय की कुर्सी को जिला कारागार संभाले हुए है और इसके लिए बकायदा समय-समय पर कुर्सी को रंग व रोगन भी कराया जाता है, ताकि कुर्सी को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे। ब्रिटिश शासनकाल में लाला लाजपतराय ने यहां 21 अप्रैल, 1922 से लेकर 9 जनवरी, 1923 तक सजा काटी थी।
धर्मशाला जेल में बन रही कुर्सियां और अन्य सामान जिला कारागार धर्मशाला के बंदी मौजूदा समय में कुर्सियों सहित टेबल, डेस्क, दरवाजे व खिड़कियों का निर्माण करने के साथ-साथ इस प्रकार के सामान की मरम्मत भी कर रहे हैं। इसके लिए बकायदा जिला कारागार की ओर से उनके लिए न्यूनतम वेतन का भी प्रावधान है। बंदियों की ओर से बनाए जाने वाले सामान को जिला कारागार में इस्तेमाल करने के अलावा इनकी बिक्री भी की जाती है। वहीं ज्यादातर सरकारी विभागों के टेबल, कुर्सी, बैंच, डेस्क सहित अन्य सामान की यहीं मरम्मत होती है।
मौजूदा समय में एक कालेज के डेस्क की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। करीब 8 बंदी यहां कारपेंटर का कार्य कर रहे हैं। करीब 114 बंदी है, जिनके लिए रोजगार का प्रावधान किसी न किसी रूप में किया गया है। चाहे ओपन एयर जेल के माध्यम से यहां फिर ठेकेदार के माध्यम से चले रहे कार्यों में इन्हें काम दिया गया है। बंदियों द्वारा लाला लाजपतराय की कुर्सी की तरह कई कुर्सी की तरह कई कुर्सियां भी बनाई जा चुकी हैं।