शिमला, 17 नवम्बर : उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में लापरवाही और याचिकाकर्ता के करियर की अपूरणीय क्षति से संबंधित मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सबीना की खंडपीठ ने एक छात्र केशव सिंह द्वारा दायर याचिका पर ये आदेश पारित किए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने सत्र 2017-2020 के लिए सरकारी कॉलेज, हमीरपुर में बीएससी (गणित) में प्रवेश लिया था और उन्होंने नवंबर 2019 में 5वें सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल हुए।
फरवरी 2020 में उन्होंने आईआईटी की परीक्षा दी और 100 में से 40.33 अंक प्राप्त किए तथा एमएससी (पीजी कोर्स) एनआईटी में प्रवेश पाने के लिए पात्र बन गए। हालांकि जून 2020 में, पांचवें सेमेस्टर के परिणाम घोषित किए गए थे और उन्हें एक पेपर में 70 में से केवल पांच अंक दिए गए थे, जिसके कारण उन्हें एनआईटी में प्रवेश नहीं मिल सका।
उन्होंने आगे आरोप लगाया है कि चूंकि उनका अकादमिक रिकॉर्ड अच्छा था और उन्होंने इस पेपर में अधिकांश प्रश्नों का प्रयास किया था, इसलिए उन्होंने अपने पेपर की रीचेकिंग के लिए आवेदन किया। रीचेकिंग के बाद 42 अंक बढ़ाए गए और उन्होंने उस पेपर में 47 अंक हासिल किए। लेकिन पुनर्मूल्यांकन का परिणाम एमएससी की काउंसलिंग के बाद घोषित किया गया और उस समय तक सभी सीटें भर चुकी थीं और याचिकाकर्ता का प्रवेश स्वीकार नहीं किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया है कि हालांकि उन्होंने फिर से आईआईटी 2021 को क्वालिफाई कर लिया, लेकिन जिस मानसिक प्रताड़ना और अवसाद का उन्होंने सामना किया है, वह अपूरर्णीय है। इस प्रतियोगिता के दौर में उन्होंने एक साल का समय गंवा दिया और हजारों लोगों ने उन्हें पछाड़ दिया।
उन्होंने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय की लापरवाही के कारण वह अपने करियर को उज्ज्वल बनाने के लिए अपने एक वर्ष के निवेश से वंचित रहे क्योंकि वे आईआईटी/एनआईटी की किसी भी काउंसलिंग में शामिल नहीं हो सके और किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोई फॉर्म नहीं भर सके। इस नुकसान के लिए, प्रतिवादी उसे मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को उसे पर्याप्त मुआवजा देने और कागजात की जांच का निष्पक्ष और उचित तरीका अपनाने का निर्देश देने की प्रार्थना की है ताकि भविष्य में किसी को भी ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े जो उसे झेलनी पड़ी है।