नाहन/ प्रकाश शर्मा : शनिवार को श्री रेणुका जी मेले के शुभारम्भ से पहले नौहराधार में जयराम ठाकुर ने सिरमौर के रेणुका विधानसभा क्षेत्र में एक और कॉलेज की सौगात दी है। अब नौहराधार में भी डिग्री कॉलेज खोला जाएगा। हल्के में ये चौथा कॉलेज होगा। पहले संगड़ाह फिर ददाहू के बाद हरिपुरधार तो अब नौहराधार में कॉलेज बनेगा। बता दे कि इन महाविद्लयों के बीच का फैसला चंद किलोमीटर का है।
गौर करने वाली बात यह है कि पहले से खुले महाविद्यालयों में से एक में भी पूरा स्टाफ नहीं है। लिहाज ऐसे कॉलेजों को खोलने का औचित्य क्या है ? 2022 के चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए सरकार कॉलेज खोलकर विकास का नारा तो दे रही है, लेकिन उसके बाद इस तरफ न तो सरकार का ध्यान जाता है और न ही अन्य नेताओं का।
सबसे पहले कांग्रेस की सरकार में संगड़ाह में कॉलेज खोला गया। इस कॉलेज के लिए मांग की जा रही थी क्योंकि तब तक सिरमौर में कॉलेज केवल नाहन में था, लिहजा अप्पर इलाकों के बच्चों को कॉलेज के लिए नाहन का रुख करना पड़ता था। लेकिन कॉलेज खुलने के बाद भी यह समस्या ज्यूं की त्यों रही। क्योंकि कॉलेज खुलने के बाद स्टाफ की दिक्क्तों का समाना करना पड़ा। हालात ऐसे है कि स्टाफ आज तक पूरा नही है, जिस कारण विज्ञान संकाय के बच्चों को बीएससी करने के लिए नाहन या दूसरे जिलों में आना पड़ता है।
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इसके बाद हरिपुरधार में कॉलेज खोला गया। यहां की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। कॉलेज खुलने के बाद यहां के स्थानीय लोग व छात्र संगठन स्टाफ की मांग कर रहे है लेकिन स्टाफ नहीं मिल रहा है। ऐसे में बेहतर होता की कॉलेज खोलने की बजाय इन कॉलेजों में पूरा स्टाफ मुहैया करवाया जाता। हालांकि जनता की मांग पर ही सीएम ने यह घोषणा की है। अब नौहराधार में खुलने जा रहे कॉलेज के लिए स्टाफ कहां से आएगा ये तो सरकार ही बेहतर बता सकती है। गौरतलब है कि हरिपुरधार से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर रोनहाट में भी कॉलेज है।
महाविद्यालयों की भरमार के बावजूद अप्पर इलाके के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए या तो नाहन या पांवटा साहिब का रुख करते है या फिर अन्य सोलन से अपनी पढ़ाई पूरी करते है। क्योंकि उनके आसपास के कॉलेजों में स्टाफ की कमी है। सिरमौर की बात की जाए तो इस समय नाहन, पांवटा, संगड़ाह शिलाई, रोहनाहट, ददाहू, हरिपुरधार, सराहां आदि इन सभी जगहों पर कॉलेज है, लेकिन स्टाफ केवल कुछ ही कॉलेजों में मौजूद है।
बता दे कि इन महाविद्लयों में स्टाफ का जुगाड़ डेपुटेशन से करने की भी कोशिश होती है। इससे एक साथ दो महाविद्लयों में पढ़ाई बाधित होती है।
कुल मिलकर कॉलेजों का खुलना विकास का एक सकारात्मक पहलु है क्योंकि बच्चों को दूर- दूर शिक्षा ग्रहण करने के लिए नही जाना पड़ेगा, लेकिन यदि वह महज नाम का ही कॉलेज बन कर ह जाए तो यह सरकार और आम जनता दोनों के लिए समस्या बन सकती है।