शिमला, 12 नवम्बर : हिमाचल सरकार द्वारा स्कूल खोले जाने के विरोध में अभिभावक संगठन लामबंद हो गए हैं। संगठन के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को शिमला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से स्कूल खोलने के आदेश वापिस लेने की मांग की।
अभिभावकों ने कहा कि कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अनिल गोयल, संदीप वर्मा सहित अन्य अभिभावकों ने कहा कि जब तक छोटे बच्चों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगाई जाती है, उस समय तक बच्चों को स्कूल बुलाने का फैसला सही नहीं होगा। अभिभावकों का आरोप है कि इस फैसले से अभिभावकों पर महज अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है। स्कूल के खुलने का फैसला प्रशासन ने थोप दिया है।
हालांकि ऑफलाइन के साथ आनलाइन पढ़ाई की आप्शन भी देनी चाहिए। बच्चों का जीवन सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन ही नहीं बल्कि स्कूल प्रबंधन को भी बच्चों के जीवन को महत्व देते हुए इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।
इससे पहले सेंट एडवर्ड, सेक्रेड हार्ट व चेल्सी स्कूल शिमला के अभिभावक डीसी ऑफिस शिमला में जुटे व डीसी की अनुपस्थिति में एडीएम शिमला से मुलाकात की। उन्होंने स्कूल में वार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने की मांग की।
छात्र अभिभावक मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा व मंच के सदस्य विवेक कश्यप ने शीतकालीन सत्र के तहत चलने वाले स्कूलों को सिर्फ दस से पन्द्रह दिन के लिए खोलने के निर्णय पर कड़ा विरोध जाहिर किया है व इस पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने इसे प्रशासन व स्कूल प्रबंधनों की अपरिपक्वता व संवेदनहीनता करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब पूरा वर्ष ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही बच्चों ने पढ़ाई की तो फिर वार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन करने में क्या दिक्कत है। इन दस दिनों के बाद स्कूल तीन महीने के लिए बन्द रहेंगे तो फिर स्कूल सिर्फ वार्षिक परीक्षाओं के लिए खोलने का क्या तुक बनता है।
उन्होंने कहा कि दस-पन्द्रह दिन की वार्षिक परीक्षाओं के बाद शिमला शहर के स्कूल शीतकालीन अवकाश के कारण फिर से तीन महीने के लिए फरवरी अंत तक बन्द हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र की वार्षिक परीक्षाएं बिल्कुल शुरू होने के कगार पर हैं अतः केवल वार्षिक परीक्षाओं के लिए स्कूल खोलने का निर्णय अव्यवहारिक व अपरिपक्व है।
उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र व ग्रीष्मकालीन सत्र में समरूपता नहीं है इसलिए सर्दियों में केवल वार्षिक परीक्षाओं के लिए दस से पन्द्रह दिन के लिए स्कूल खोलना तार्किक नहीं है। उन्होंने कहा है कि कोरोना का संक्रमण शिमला शहर जैसे भीड़-भड़ाके वाले इलाकों में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। जिन स्कूलों में बड़ी कक्षाओं के छात्र पढ़ाई करने के लिए जा रहे हैं,वहां पर कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इन स्कूलों में दर्जनों छात्र कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इस तरह स्कूलों में परीक्षाओं को लेकर अभिभावक व छात्र काफी घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब छात्र व अभिभावक ही स्कूल में परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं हैं तो फिर स्कूल प्रबंधन इन परीक्षाओं के संदर्भ में क्यों जबरदस्ती कर रहे हैं।