धर्मशाला, 10 नवंबर : बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा वह अपने जीवन के शेष दिन धर्मशाला में ही बिताना चाहते हैं। धर्मशाला की आबोहवा व यहां की भौगोलिक परिस्थितियां उनके अनुकूल हैं। उनके स्वास्थ्य के लिए यह जगह बहुत अच्छी है। बर्फीले पहाड़ झीलें व जंगल उन्हें पसंद हैं। उन्होंने कहा कि जब वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले थे तो उनसे कहा था कि वह भारत को अपने बचे हुए जीवन के दिन व्यतीत करना चाहते हैं और जब मृत्यु हो तो यहीं हो। भारत में उनको पूर्ण रूप से स्वतंत्रता है। भारत में धार्मिक सदभावना है। यहां पर धर्मों के बीच में बहुत अच्छी सदभावना है।
अपने सिद्धांतों की बात करें तो भारत उनके लिए बहुत अनुकूल जगह है। दलाई लामा ने कहा शांति व आंतरिक शांति के लिए जो सहयोग कर सकता हूं वह करता रहूंगा। संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता रहूंगा। दलाई लामा आज अपने धर्मशाला स्थित आवास से ऑनलाइन माध्यम से जापान के फॉरेन कोरेसपोंडेंटस क्लब ऑफ तिब्बत हाउस द्वारा आयोजित सह्रदय का सृजन विषय पर व्याखान दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब भी दिए।
कोरोना पर बोले दलाई लामा मन की शांति व आत्मविश्वास जरूरी कोरोना महामारी को लेकर परमपावन दलाई लामा ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए टिप्स देने के लिए वह कोई एक्सपर्ट नहीं हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि मन की शांति व सुख बना रहे। कोरोना के समय में जो हम परेशान है इस वक्त में भी मन की शांति बनी रहे यह महत्वपूर्ण हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि सभी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जब ज्यादा परेशान हों तो जरूरी है कि आत्मविश्वास रखें और मन की शांति रखें।
मैं मध्यम मार्ग को मानने वाला साधारण बौद्ध भिक्षु चीन ताइवान के संबंध थोड़े जटिल हैं। मैं भारत में ही रहना चाहूंगा। वहां जाकर बहुत ज्यादा राजनीतिक जटिलताएं हैं। राजनीति की बात हो तो मैं मध्यम मार्ग को मानने वालों में से हूं। मैं अपने आप को साधारण बौद्ध भिक्षु मानता हूं।
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा धर्म विनाशक एक बार कहा था कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी को ज्वाइन करना चाहता हूं। जब मैंने ऐसा कहा तो उन्होंने कहा जल्दबाजी नहीं है। पार्टी का धर्म उद्देश्य है। तब जाना कि यह पार्टी वास्तविक धर्म की विनाशक है। व्यक्तिगत अनुभव रहे हैं। सभी को एक मनुष्य के रूप में देखता हूं। लोगों की अलग अलग विचारधारा होती है।
मौका मिला तो कभी मक्का भी जाउंगा धार्मिक सद्भावना बनी रहनी चाहिए। भारत में सभी धर्म अच्छे से रह रहे हैं। धार्मिक सदभावना बने, इसलिए मैं जब दिल्ली गया तो जामा मस्जिद में मुस्लिम भाइयों की टोपी पहन कर उनकी तरह पूजा की। कभी वक्त मिला तो मक्का भी जाना चाहूंगा। सभी धर्म समान है। भारत देश में सभी धर्मों का सम्मान होता है। यह जगह मेरे लिए अनुकूल है।