पांवटा साहिब, 9 नवंबर : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दंत चिकित्सा की एमडीएस परीक्षा में पांवटा साहिब डेंटल काॅलेज की स्टुडेंट डाॅ. नंदिनी भारद्वाज ने टाॅप किया है। कमाल की बात यह है कि नंदिनी ने 600 में से 512 अंक प्राप्त किए हैं। तीन साल की एमडीएस की पढ़ाई में डाॅ. नंदिनी ने ओरल कैंसर व फोरेंसिक में महारत हासिल की है।
मूलतः कांगड़ा के नगरोटा बगवां की रहने वाली डाॅ. नंदिनी ने 8 साल की पढाई पांवटा साहिब डेंटल काॅलेज में ही की है। अब इसी काॅलेज में अपना कैरियर भी शुरू किया है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं है, लेकिन संभव है कि नंदिनी द्वारा प्राप्तांकों का एक रिकाॅर्ड भी हो सकता है, जो पहले किसी छात्र ने प्राप्त न किए हों। बता दें कि यूनिवर्सिटी में सैकेंड टाॅपर के अंक 460 हैं।
डाॅ. नंदिनी के पिता विनोद भारद्वाज एएमसी के कार्डियोलाॅजी विभाग में तकनीशियन के पद से रिटायर होने के बाद दुकान चला रहे हैं, जबकि मां ममता भारद्वाज अर्थशास्त्र की प्रवक्ता हैं। भाई शिवम भारद्वाज ने भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट कैरियर शुरू किया है। बता दें कि एमडीएस की तीन साल की पढ़ाई के बाद डाॅ. नंदिनी को देश के कई बड़े शहरों में रिसर्च कार्य के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। दिल्ली एम्स से भी डाॅ. नंदिनी अवार्ड ले चुकी है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान डाॅ. नंदिनी ने बताया कि वो दंत चिकित्सा में फोरेंसिक फील्ड में गहरी रूचि रखती हैं। लिहाजा, इसे ही चुना है। उन्होंने कहा कि दांत के आधार पर किसी भी व्यक्ति के लिंग का पता लगाया जा सकता है। साथ ही उम्र का भी पता लगता है। क्राइम में फोरेंसिक के काफी मायने होते हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा ओरल कैंसर में भी विशेषता हासिल कर रही हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डाॅ. नंदिनी ने ये भी कहा कि फोरेंसिक की शिक्षा को लेकर कई पेपर भी प्रकाशित हुए हैं।
अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व अपने शिक्षकों को दिया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वो बचपन से डाॅक्टर बनना चाहती थी। उन्हें इस बात की खुशी थी कि दंत चिकित्सा के बेहतरीन काॅलेज में बीडीएस की पढ़ाई का मौका मिला।