मंडी, 7 नवंबर : संस्कार और जुनून एक साथ हो तो कोई भी काम असंभव नहीं। जिला के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की पड़पौत्री शाम्भवी मिन्हास ने इसकी साक्षात मिसाल कायम की है। शाम्भवी इन दिनों अंडेमान में आईएसएमआर संस्थान में विज्ञानी के तौर पर कार्यरत है। वह अंडेमान में तैनात हुई तो उसके दिमाग में अपने पड़दादा को लेकर जो छवि बनी थी, जो उसने सुन व पढ़ रखा था।
मंडी शहर के बीचों बीच जिनकी प्रतिमा भी स्थापित है, जहां पर हर साल 28 नवंबर को उनका जयंती समारोह होता है, को लेकर उसके मन में जो कई सवाल व जिज्ञासाएं थी, उसके प्रमाण तलाशने की सोच आई। जब वह अंडमान में तैनात हुई तो उसे ख्याल आया कि यह वही अंडमान है, जिसे अंग्रेजों के शासनकाल में काला पानी के नाम से जाना जाता था।
क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों को जब अंग्रेज सजा देते थे तो इसी अंडेमान के सेलुलर जेल जो अब एक राष्ट्रीय स्मारक बन चुका है की काल कोठरियों में रखते थे। शाम्भवी के मन में विचार कौंधा की उनके पड़दादा के काला पानी की सजा के दौरान पूरे व सही आंकड़े कहीं उपलब्ध नहीं है। क्यों न प्रयास किया जाए और सही तथ्य जुटाए जाएं। उसने प्रयास शुरू किए। आखिर बड़ी मशक्कत व सेलुलर जेल के अधिकारियों के साथ बार-बार संपर्क करने के बाद वह अब जाकर सफल हुई। हाल ही में उसने आखिर वह पन्ना खोज डाला जिसमें भाई हिरदा राम को लेकर जिक्र किया गया है।
इसके अनुसार भाई हिरदा राम के खिलाफ अंग्रेजों ने भादंसं की धारा 121, 121 A ,122, 131, 397, 398, 395, 302 व 109 के तहत मामला दर्ज करके मृत्युदंड दिया था। जिसे बाद में उम्रकैद में बदला गया और उन्हें 29 अक्तूबर 1915 को अंडमान जेल में कैद किया गया। 1921 में उन्हें वापस भारत की जेलों में भेजने का निर्णय हुआ। 1930 में उन्हें कुछ शर्तों के साथ रिहा कर दिया गया। पुस्तक में उनका नाम हिरदा राम छपा है। पुस्तक में प्रकाशित है कि वह गदर पार्टी के प्रमुख नेता डॉ. मथुरा दास जी के मित्र हैं जिन्हें फांसी पर लटकाया जा चुका है। बम बनाने में प्रशिक्षित हैं और इन्होंने फौज में विद्रोह फैलाने का प्रयास किया था।
इस रिकार्ड में मंडी का नाम भी दर्ज है। 38378 नबंर पर हृदय राम उर्फ हिदा राम सुपुत्र गज्जन सिंह राजपूत, रियासत मंडी दर्ज है जबकि इन्हें प्रथम लाहौर षड़यंत्र केस 1915 के तहत 13 सितंबर 1915 को राजद्रोह, सेना में विद्रोह कराना, डकैती के समय हत्या के आरोप में मृत्यदंड की सजा सुनाई थी। यह सब अब ऑन रिकार्ड उपलब्ध हो गया।
सरकार व प्रशासन से क्या चाहते हैं, परिजन स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम के पौत्र व रिकार्ड तलाशने वाली शाम्भवी के पिता रिटायर्ड इंजीनियर शमशेर मिन्हास का कहना है कि उनका परिवार चाहता है कि प्रदेश सरकार अपना 2022 का कलैंडर भाई हिरदाराम क्रांतिकारी के नाम से सचित्र प्रकाशित करे। इंदिरा मार्केट पर स्थापित उनकी प्रतिमा के चारों ओर सुंदर रेलिंग लगाई जाए व इसका सौंदर्यीकरण किया जाए।
भाई हिरदा राम ट्स्ट के लिए जगह का प्रावधान, अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ताम्रपत्र प्रदान करने, भाई हिरदा राम के सबसे बड़े पोते जो मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं के लिए पेंशन, सेना केंटीन की सुविधा, चिकित्सा सुविधा निशुल्क, प्रतिमा के आसपास कोई व्यावसायिक गतिविधि न करके साफ सफाई रखना, स्वतंतत्रा सेनानी कोटे से परिवार के लिए दुकान तथा वीर सावरकार जिनके साथ एक ही कोठरी में भाई हिरदा राम रहे थे की तरह उचित सम्मान दिए जाने का आग्रह है।