शिमला, 3 नवंबर : हिमाचल प्रदेश के चंबा जनपद की चुराह घाटी में सांप की नई प्रजाति (New Species of Snake) मिली है। इसे “Oligodon churahensis” वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) मिला है। जबकि इसका काॅमन नाम ‘‘चुराह वैली कुकरी’’ होगा। लंबी जद्दोजहद के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर सांप की नई प्रजाति का पेपर (Journal) 2 नवंबर 2021 को प्रकाशित (Publish) हो गया है। नई प्रजाति को तलाश करने में 3 शोधकर्ताओं (Researchers) की अहम भूमिका रही। इसमें तीसा के रहने वाले वीरेंद्र कुमार भारद्वाज हैं, जो इस समय जीएनडीयू (GNDU) अमृतसर में भी शोधकर्ता हैं। वो इस समय पीएचडी भी कर रहे है।
इसके अलावा इसका श्रेय नेशनल सैंटर फाॅर बायोलाॅजिकल साईंसिज (National Center for Biological Sciences) के जिशान ए मिर्जा को भी मिला है। इसके अलावा गुजरात के बायो साईंसिज विभाग (Bio Sciences Department) में कार्यरत हर्षिल पटेल ने भी दुनिया में सांप की नई प्रजाति को तलाशने में अहम भूमिका निभाई है। तीनों शोधकर्ताओं ने पूरी रिसर्च के बाद लेख को प्रकाशन (Publication) के लिए अगस्त महीने में सबमिट (submit) किया था। आपको बता दें कि सांप की नई प्रजाति चुराह के थनेई कोटी में साइट (Sight) हुई थी। ये सांप, स्लेटी व भूरे रंग का है। नई प्रजाति जहरीली नहीं (Non poisonous) है। सांप का मुख्य आहार पक्षियों के अंडे व सरिसर्प पाया गया है।
फिलहाल दुनिया में सांप की ये प्रजाति हिमाचल की चुराह घाटी में 1864 मीटर की ऊंचाई पर पाई गई हैै। संभव है कि आने वाले समय में ये प्रजाति अन्य देशों में भी रिपोर्ट होनी शुरू हो जाए। आपको बता दें कि सांप की नई प्रजाति पर अंतिम मुहर पेपर प्रकाशन के बाद ही लगती है। इससे पहले दुनिया में मौजूद सांपों की प्रजातियों के उपलब्ध डीएनए की मैचिंग भी की जाती है। उसी सूरत में प्रजाति को नया माना जाता है, जब धरती पर इसके डीएनए पहले से उपलब्ध न हों।
अमूमन नई प्रजाति का नामकरण उस भौगोलिक परिस्थिति (geographical location) के आधार पर किया जाता है, जहां पहली बार मिलती है। लिहाजा, इस मामले में भी चुराह शब्द का इस्तेमाल हुआ है। प्रदेश में सांपों की प्रजातियों में गहरी रुचि रखने वाले चंबा के राकेश्वर कपूर ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि इससे मिलती-जुलती कई अन्य प्रजातियां मौजूद हैं, लेकिन इस पर मौजूद बैंड व रंग के अलावा लंबाई इत्यादि अन्यों से भिन्न बनाते हैं। उन्होंने कहा कि नई प्रजाति की खोज करने वालों में गुजरात, कर्नाटक व हिमाचल के तीन खोजकर्ताओं की टीम शामिल थी।
Publication : https://evolsyst.pensoft.net/article/72564/
बता दें कि सांपों के सर्वेक्षण के दौरान इस प्रजाति का नमूना पाया गया था। लगातार सवा साल से इस पर कार्य जारी था। रूपतामक तौर पर नई प्रजाति 60 से 80 सैंटीमीटर लंबाई की होती है। नई प्रजाति के सांप की लंबाई 335 एमएम के आसपास है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नई प्रजाति ऊंचाई वाले इलाकों में ही मिलेगी।
कुल मिलाकर कुकरी की नई प्रजाति के मिलने से ये पता चलता है कि इस तरह की मिलती-जुलती अन्य प्रजातियां भी क्षेत्र में मिल सकती है। बशर्ते इस क्षेत्र में खोज को आगे बढ़ाया जाए। उल्लेखनीय है कि इसी साल अगस्त महीने में यूके, यूएसए व इंडिया के तीन वैज्ञानिकों ने भी आसाम में सांप की प्रजाति को खोजा था।
ये हैं खास….
हिमालय वैश्विक जैव विविधता का हाॅट स्पाॅट माना जाता है। पूर्वी हिमालय को पश्चिमी हिमालय की तुलना में अधिक जैव विविधता वाला माना जाता है। चूंकि हिमाचल की चुराह घाटी भी पूर्वी हिमालय का हिस्सा है, लिहाजा अधिक जैव विविधता होने के कारण स्थालाकृति, जलवायु व वन खास भूमिका में होते हैं। हिमाचल में सरिसर्पों पर चल रहे अध्ययन के हिस्से में जीनस ओलिगोडोन की एक प्रजाति के नमूने एकत्रित किए गए थे। ये नमूने कई पहलुओं में भिन्न थे। साथ ही ये भारत व श्रीलंका के अर्नेसिस से अनुवांशिक रूप से भिन्न पाए गए थे। लिहाजा, इसे नई प्रजाति के रूप में वर्णित किया गया है। आणविक विश्लेषण में जीनोमिक डीएनए के प्रोटोकाॅल की पालना करते हुए डीएनए किट का प्रयोग कर नमूनों के संरक्षित सैंपल का परीक्षण किया गया।