शिमला, 02 नवम्बर : हिमाचल की चार सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस परिणाम के जरिए जनता ने भाजपा की रणनीति की पोल खोल दी है। मंडी लोकसभा सीट के अलावा अर्की, फतेहपुर और जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीटों पर भाजपा को करारी मात झेलनी पड़ी है। जुब्बल कोटखाई में तो भाजपा उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। उपचुनाव के परिणाम पर मंहगाई के असर और सेब के दाम बढ़ने के मुददों को भी बड़ी वजह माना जा रहा है।
यह भी कहा जा रहा है कि सिलेंडर, पेट्रोल, डीजल और सरसों के तेल की कीमतें बढ़ने से आम जनता में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी थी। सेब सीजन के आरंभ में बागवानों को सेब की सही कीमतें नहीं मिलने पर बागवानों में भी सरकार के विरूद्व रोष था।
मंडी संसदीय क्षेत्र की जनता के रूझानों से स्पष्ट है कि भाजपा को जमीन की राजनीति पर जोर देना पडेगा। मंडी सीट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी। मुख्यमंत्री ने अपने चुनाव प्रचार का ज्यादातर समय इसी संसदीय क्षेत्र में बिताया और ताबड़तोड़ रैलियां की। मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के कारण इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह भाजपा पर भारी पड़ीं और उन्होंने यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी। भाजपा ने समूचे संगठन की ताकत मंडी उपचुनाव में झोंक दी थी, लेकिन पार्टी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार नहीं रख पाई।
कुल मिलाकर मंडी उपचुनाव परिणाम को भाजपा के लिए तगड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल पिछले दो आम चुनाव में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने इस सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। उनकी मृत्यू के वजह से इस सीट पर उपचुनाव हुआ है। कांग्रेस की प्रतिभा सिंह आठ हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की है। बता दें कि वर्ष 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस इस सीट को चार लाख से अधिक मतों से हार गई थी।
सूबे में उपचुनाव वाली चारों सीटों पर भाजपा की रणनीति कारगर नहीं दिखी। ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवार चयन पर विवाद हुआ और टिकट आबंटन के बाद स्थानीय भाजपा नेताओं में भारी असंतोष पनपा। जुब्बल कोटखाई सीट इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां भाजपा पहले दिवंगत विधायक नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा को अपना उम्मीदवार कहकर घूमाती रही और बाद में टिकट जिला परिषद सदस्य रही नीलम सरैइक को थमा दिया गया। अर्की और फतेहपुर विधानसभा सीटों पर भी भाजपा उम्मीदवारों की घोषणा के बाद बगावत के सुर उठे।