शिमला, 2 नवंबर : कांग्रेस के शीर्ष नेता सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद चंद महीने पहले ही बेटे भवानी सिंह ने राजनीति में पदार्पण किया। पार्टी ने भी टिकट थमा दिया। सामने, सत्तारूढ़ राजनीतिक दल से दंगल लड़ने की चुनौती थी, लेकिन इस चुनौती की कसौटी पर खरा उतरकर भवानी सिंह पहली बार विधायक बन गए। धर्मशाला में जन्में पठानिया ने बी काॅम के बाद एमबीए की शिक्षा ग्रहण की है।
कांगड़ा के फतेहपुर क्षेत्र से विधायक बने भवानी सिंह ने 1998 में बलसारा कंपनी में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनिंग कैरियर शुरू किया। इसके बाद कई नामी कंपनियों में 24 साल का तजुर्बा भी प्राप्त है। पिता की मृत्यु के समय वो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल में एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट के पद पर तैनात थे। इस पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आ गए। चूंकि वो पिछले 20 सालों से पिता के साथ चुनाव में सक्रिय रहे थे, लिहाजा चुनाव लड़ने के अनुभव तो थे ही, साथ ही मतदाताओं में एक परिवार के प्रति सहानुभूति भी थी।
उप चुनाव को भवानी सिंह पठानिया ने 5789 मतों से जीता है। इस हलके से डाॅ. राजन सुशांत भी चुनावी मैदान में थे। डाॅ. सुशांत भी 12,927 वोट हासिल करने में सफल रहे। कुल मिलाकर अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में उस जनपद में भवानी सिंह क्या प्रफार्मेंस दे पाते हैं, जहां से चंद दिन पहले ही पार्टी के दिग्गज नेता जीएस बाली का निधन हुआ है। बाली के निधन के बाद कांगड़ा की राजनीति में कांग्रेस के लिए एक वैक्यूम भी पैदा हुआ है।