शिमला, 02 नवंबर : हिमाचल के 6 बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के राजनीतिक जीवन के अंतिम विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने इस बार भी ये सीट कांग्रेस की झोली में ही डाल दी है। बीजेपी के तेजतर्रार नेता व नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल की चाणक्य नीति इस चुनाव में फेल हुई है। मतगणना के दौरान चुनावी रुझान ने ही यह संकेत दे दिए थे कि कांग्रेस जीतने वाली है।
हालांकि इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के समक्ष भी अंदरूनी कलह की चुनौती थी। चुनाव में भाजपा के तेजतर्रार नेता डॉ. राजीव बिंदल को उप चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि सह प्रभारी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल थे। बिंदल की चाणक्य नीति ही मानी जा रही थी कि पूर्व विधायक गोविंद शर्मा ने बीजेपी से बगावत कर नामांकन नहीं भरा था, लेकिन कुल मिलाकर रूलिंग पार्टी को हल्के में शर्मसार हार का सामना करना पड़ा है।
यह चौंकाने वाला नतीजा इस कारण भी है कि अमूमन मतदाता उप चुनाव में सरकार के साथ ही चलते हैं, लेकिन कांग्रेस के संजय अवस्थी ने चुनाव जीतकर हल्के में नए समीकरण भी बना दिए हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस बेहद ही संयम से अपना प्रचार आगे बढ़ा रही थी।
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में संजय अवस्थी ने दिवंगत वीरभद्र सिंह के लिए सीट छोड़ी थी। हालांकि उन पर दिवंगत वीरभद्र सिंह के विरोधी होने के भी आरोप लगे लेकिन चुनाव प्रचार शुरू होते ही संजय अवस्थी ने बेहद ही संजीदगी से अपना पक्ष रखा था। शायद मतदाताओं को अवस्थी का पक्ष भी सही लगा होगा। उपचुनाव में एक सबसे बड़ा फैक्टर महंगाई का भी माना जा रहा था। इस चुनाव के दौरान पेट्रोल व डीजल की कीमतों के अलावा सब्जियों के दाम आसमान छू रहे थे। वैसे राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अमूमन स्थानीय मुद्दे भारी रहते हैं।
अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के परफॉर्मेंस को लेकर भाजपा कैसे तेवर अपनाती है। साथ ही नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल की उम्मीद भी टूट गई है, जिसमें उनके समर्थक समझ रहे थे कि चुनाव जीतने के बाद डॉक्टर बिंदल को बड़े ओहदे की सौगात दी जा सकती है। 11वें राउंड तक कांग्रेस के प्रत्याशी संजय अवस्थी को 3994 मतों की बढ़त प्राप्त हुई थी।
भाजपा ने कांग्रेस से यह सीट हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी थी कि चुनाव प्रभारी विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने बूथ अध्यक्ष व बूथ पलकों को तैनात कर जरूरी टिप्स भी दिए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है।