नाहन, 30 अक्तूबर : ये तो रहस्य है कि लाॅकडाउन के दौरान भी विशालकाय सांड शहर की परिधि में कहां से पहुंच गए। खैर, शनिवार को पशुपालन विभाग व पशु अत्याचार निवारण समिति के साथ-साथ नगर परिषद की सराहनीय मुहिम शुरू हुई है। ये अलग बात है कि पांवटा साहिब में सचिन ओबराॅय के अनशन के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। सांडों को काबू करने के लिए पशुपालन विभाग ने पहले वन्यप्राणी विभाग से ट्रेंकुलाइजर गन का इंतजाम किया। इसके बाद इसे कोई चलाने वाला नहीं मिला तो विभाग के ही एक डाॅक्टर साहब ने यू-टयूब पर वीडियो देखकर ट्रेंकुलाइजर गन में शाॅट लोड करने का तरीका सीखा।
बता दें कि शाॅट जानवर पर मारा जाता है, ताकि वो बेहोश हो जाए। मामूली सी चूक टीम पर भारी भी पड़ सकती थी, क्योंकि ये सांड बेहद ही आक्रामक थे। शाम तक 8 सांडों को काबू कर लिया गया। बेहोशी के दौरान ही इनकी नसबंदी भी कर दी गई। बता दें कि हाईवे पर कुछ सांडों को पकड़कर पशुशाला में भी रखा गया था। लेकिन यहां सांडों ने तीन गायों के साथ-साथ एक बछड़े को भी घायल कर दिया था। नसबंदी के बाद इन सांडों को कोटला बड़ोग काऊ सेंचरी भेज दिया गया है।
हीट में आने के बाद ये सांड अधिक खूंखार हो जाते हैं, लिहाजा नसबंदी के बाद इनके व्यवहार में भी नरमी आने की प्रबल संभावना हो जाती है। विभाग के मुताबिक क्षेत्र में 15 सांडों को काऊ सेंचुरी भेजने का लक्ष्य रखा गया है, इसमें से 8 को काबू कर लिया गया है। गत माह भी 26 आवारा पशुओं को काऊ सेंचुरी भेजा गया था। उल्लेखनीय है कि एक्शन के दौरान बैलों को उठाने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल किया गया, क्योंकि इनका वजन टनों में था।
जानकारी के मुताबिक सामने खड़े होकर खूंखार सांडों पर ट्रेंकुलाइजर चलाना भी जोखिमपूर्ण था। उधर, पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डाॅ. नीरू शबनम ने बताया कि मौके पर ही सांडों की नसबंदी भी की गई। उन्होंने माना कि वाइल्ड लाइफ विभाग द्वारा मुहैया करवाई गई ट्रेंकुलाइजर गन इस एक्शन में मददगार साबित हुई। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि नसबंदी के बाद इनके व्यवहार में नरमी आने की भी उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि आवारा सांड दोसड़का से कालाअंब मार्ग के अलावा पांवटा साहिब मार्ग पर भी अक्सर घूमते नजर आते थे। कई मर्तबा ये शहर में भी दाखिल हो जाते थे।