शिमला, 28 अक्तूबर : प्रदेश हाईकोर्ट में गुड़िया दुष्कर्म मामले की जांच पुनः करवाए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 8 दिसंबर के लिए टल गई। मुख्य न्यायधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश सबीना की खंडपीठ के समक्ष मामले पर सुनवाई हुई। बृहस्पतिवार को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षकारों ने मामले पर अपना पक्ष रखा। प्रार्थी द्वारा दायर याचिका में सीबीआई की जांच पर खामियों को उजागर करते हुए इस मामले की जांच पुनः करवाने की मांग की गई है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार सीबीआई ने इस मामले में सभी तथ्यों की तह तक जांच नहीं की है। मामले पर अगली सुनवाई 8 दिसम्बर को होगी।
बता दें कि गुड़िया कांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने इसी साल 18 जून को एक आरोपी चिरानी को उम्र कैद की सज़ा सुनाई है। इस विभत्स घटना को लेकर सीबीआई ने एकमात्र आरोपी को गिरफ्तार किया था, लेकिन परिजन उससे सन्तुष्ट नहीं हैं। परिजनों ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाया था।
दरअसल करीब 4 साल पहले जब ऊपरी शिमला के कोटखाई में गुड़िया के साथ यह दरिंदगी हुई थी,तब पूरा प्रदेश सन्न रह गया था तथा लोगों ने सड़कों पर उतर कर गुड़िया के लिए न्याय की मांग की थी।
मामले के अनुसार 4 जुलाई, 2017 को शिमला जिले के कोटखाई की एक छात्रा (गुड़िया) स्कूल से लौटते समय लापता हो गई थी। 6 जुलाई को कोटखाई के तांदी के जंगल में पीड़िता का नग्न अवस्था में शव मिला। उसके बाद मामले में गठित एसआईटी भी इससे जुड़े लॉक अप सूरज हत्याकांड में सलाखों के पीछे रही।
जनता के एसआईटी जांच से संतुष्ट न होने, केंद्र की ओर से सीबीआई जांच को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने और प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ते देख प्रदेश सरकार सीबीआई जांच को लेकर हाईकोर्ट गई, जिस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश जारी किए थे। सीबीआई ने इस मामले में 13 अप्रैल, 2018 को नीलू नामक एक चिरानी को गिरफ्तार किया। 18 जून 2021 को अदालत द्वारा नीलू को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।