नाहन, 28 अक्तूबर : 90 के दशक तक क्रिकेट की पिच पर चौके-छक्के लगाने वाले खिलाड़ियों के जहन में आज भी वो पिच रोलर बसा होगा, जिसका इस्तेमाल पिच को समतल करने के लिए होता था। ऐतिहासिक शहर जहां स्थापना का 400वां वर्ष मना रहा है, वहीं ये बात ध्यान से निकली हुई थी कि 2021 में क्रिकेट पिच रोलर ने भी 100 साल की उम्र पूरी कर ली है। वीरवार को मोहल्ला गोविंदगढ़ के सिख नौजवानों ने अपने वैभवशाली अतीत को दामन में समेटे इस रोलर की सुध ली।
इत्तफाक देखिए कि सिख नौजवानों ने टनों वजनी इस रोलर से चौगान मैदान को भी समतल किया, जबकि नगर परिषद द्वारा इसे अनदेखा किया जाता रहा है। रोचक बात ये है कि सिख नौजवानों को ये नहीं पता था कि 2021 में इस रोलर ने 100 साल की उम्र भी पूरी की है। मकसद रोलर के जरिए मैदान को समतल करने का था। दो टन वजनी इस रोलर को फंक्शनल करना एक अलग चुनौती थी। मगर इसकी कसौटी पर ये नौजवान बखूबी खरा उतरे। करीब 7-8 साल पहले रोलर का हत्था टूट गया था।
खास बात ये है कि अपने वजन के कारण ही ये रोलर खुलेआम मैदान के एक कोने में पड़ा हुआ है, अन्यथा चोर तो इसे कब का ठिकाने लगा गए होते। गौरतलब है कि अगर कोई भी निर्जीव वस्तु 100 साल की उम्र पूरी कर लेती है तो इसे एंटीक का दर्जा मिल जाता है। इस रोलर पर साफ तौर पर इसके बनने का साल अंकित है। दिल्ली गेट पर लगे विशालकाय घंटों को लंदन से लाया गया था। हालांकि, पुख्ता तौर पर नहीं पता चला है कि लेकिन माना जा रहा है कि इस रोलर को भी ब्रिटिश हुकूमत के वक्त इंगलैंड से ही निर्यात किया गया होगा। ऐसी भी आशंका है कि इस रोलर के हत्थे चोरी हो चुके हैं।
जानकारों की मानें तो रोलर में इस्तेमाल लोहे की गुणवत्ता भी जबरदस्त है। मामूली सा भी जंक नहीं लगा है। अब चूंकि सिख नौजवानों ने इसे फंक्शनल कर दिखाया है, लिहाजा इस रोलर की अहमियत ओर बढ़ गई है। बता दें कि चौगान मैदान भी रियासतकाल से ब्रिटिश काल का इतिहास भी अपने दामन में समेटे हुए है।
खास बात ये है कि रोलर के हत्थे चोरी हुए सालों बीत चुके हैं, लिहाजा सिख नौजवानों ने पहले हत्थों के स्थान पर मोटी संगलों का इंतजाम किया, इसके बाद इसे जुगत लगाकर खींचकर मैदान में चलाया।