संगड़ाह, 25 अक्टूबर : प्रमुख आस्था स्थल चूड़धार मे मौसम के पहले हिमपात बाद चोटी दर्जनों मवेशियों को मदद की दरकार है, अन्यथा वो कड़कती ठंड में भूखे प्यासे ही प्राण त्याग देंगे। चोटी पर जाने वाले रास्ते बंद हो गए हैं। चूड़धार चोटी पर रात को तापमान 0 डिग्री से नीचे पहुंचना शुरू हो गया है। चोटी की तलहटी में रहने वाले लोगों द्वारा छोड़े गए गौवंश अथवा मवेशियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
प्रदेश सरकार के गौशालाओं को बनाने के दावे पूरे नहीं हुए। पीटा व गौ रक्षा के दावे करने वाले संगठन भी इन मवेशियों की सुध नहीं लेते हैं, न इन्हे ऐसे छोड़ने वालों पर कार्रवाई होती है। पशु प्रेमी व सांसद मेनका गांधी भी इनके दर्द से वाकिफ नहीं है। चोटी पर हिमपात होने के बाद हर साल कई पशु ठंड से मर जाते है। इसके साथ ही भालुओ के हमले भी बढ़ सकते हैं।
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रविवार को सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल के अंतर्गत आने वाली चूड़धार पर्वत श्रंखला पर आधा फुट के हिमपात हुआ। सोमवार को मौसम साफ रहने के चलते बर्फ से ढकी चूड़धार चोटी चांदी की तरह चमकती दिखाई दी। साथ ही ये मवेशी भी भटकते नजर आए। एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क इन मवेशियों के दयनीय हालत से जुड़े वीडियो भी मिले है। पहले हिमपात के बाद शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार के कपाट परम्परा के अनुसार अब अप्रैल माह मे वैशाखी पर खुलेंगे। चूड़ेश्वर सेवा समिति के प्रबंधक बाबूराम शर्मा ने रास्ते बंद होने के चलते श्रद्धालुओं व ट्रैकर्स से चूड़धार की यात्रा न करने की अपील की है।
गौरतलब है कि चूड़धार मे सड़क, हैलिपैड व प्राथमिक चिकित्सा जैसी मूलभुत सुविधाएं न होने के चलते हिमपात के दौरान साल मे करीब छह माह यहां यात्रा बंद रहती है। साढ़े 8 करोड़ की लागत से बनने वाली नौहराधार-चूड़धार मार्ग के लिए अब तक नाबार्ड से स्वीकृत बजट उपलब्ध होना शेष है।
कुल मिलाकर बड़ा सवाल ये है कि क्या इन मवेशियों को बचाने के लिए कोई कदम उठाए जाएंगे या नहीं। बता दे कि कई बार चोटी की ट्रैकिंग के दौरान पशुओं के कंकाल भी मिलते है। फ़िलहाल ये कहना मुश्किल है कि क्या वो कंकाल ठंड से मरने वाले मवेशियों के ही होते है या नहीं।