शिमला, 23 अक्टूबर : हिमाचल प्रदेश के जोगिंदर नगर स्थित शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर हिमाचल बचाओ संघर्ष मोर्चा ने एक बार फिर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष लक्ष्मेंद्र सिंह ने शनिवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि शानन प्रोजेक्ट को लेकर पंजाब सरकार के साथ कोई एग्रीमेंट साइन नहीं हुआ है, लेकिन इस प्रोजेक्ट का हिस्सा पंजाब, हरियाणा से नहीं मिल रहा है।
इस मामले पर वे कई बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिले हैं लेकिन न तो राज्य सरकार इस मुद्दे को उठा रही है और न ही खुद मुख्यमंत्री इस पर कोई संज्ञान ले रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर राज शाही परिवार, लॉर्ड इरविन और ओल्ड पंजाब स्टेट इंजीनियर चीफ के बीच समझौता ज्ञापन साइन हुआ है जो देश की आज़ादी के साथ खत्म हो चुका है लेकिन अब इतने साल बीत जाने के बाद भी हिमाचल सरकार को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आए दिन कर्ज के बोझ तले दब रही है लेकिन शानन प्रोजेक्ट से मिलने वाला लाभ नहीं ले पा रहे है। यदि प्रदेश सरकार पंजाब और हरियाणा सरकार से अपना हिस्सा ले तो सारा कर्ज खत्म हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट से रोजाना प्रदेश सरकार को एक करोड़ का नुकसान हो रहा है जबकि एक माह में 30 करोड़ और एक साल में तीन अरब का नुकसान हो रहा है।
कहा कि हिमाचल संघर्ष मोर्चा ने इस मामले को लेकर सर्वाेच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है, जिस पर अदालत ने संज्ञान लेने की बात कही है। लक्ष्मेन्द्र सिंह ने बताया कि 1926 में शुरू हुई 48 मेगावाट शानन बिजली परियोजना की 99 फीसदी बिल्डिंग जर्जर हालत में है। मंडी के तत्कालीन राजा जोगिंदर सेन ने ही मंडी के हक़ की लड़ाई लड़ी थी।
आजादी से पहले लाहौर को रोशन करने वाले शानन बिजली प्रोजेक्ट की हालत आज बहुत ख़स्ता हालत में है। प्रोजेक्ट का संचालन पंजाब सरकार से छीन कर अब केंद्र सरकार के कब्जे में आ गया है जो कि हिमाचल को मिलना चाहिए।