शिमला, 20 अक्तूबर : सोशल मीडिया विश्लेषण में पुलिस बल को प्रशिक्षित करने के लिए राज्य सीआईडी की पहल की सराहना की। पांच पुलिस अधिकारी एचसी संदीप प्रभारी डीसीआरबी सिरमौर आ. नीतीश और आ. अमरेंद्र साइबर सेल सिरमौर, आ. शुभम पीटीसी और आ. अजय ऊना साइबर सेल जिन्होंने पाठ्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया, उन्हें पुलिस महानिदेशक द्वारा प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान अतुल फूलजले पुलिस महानिरीक्षक अपराध, रोहित मालपानी पुलिस अधीक्षक साइबर अपराध तथा नरवीर सिंह राठौर अति. पुलिस अधीक्षक साइबर अपराध ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया।
आज सोशल मीडिया ने काफी विशाल रूप ले लिया है। दुनिया में सोशल मीडिया के कुल एक्टिव यूजर्स इस समय 420 करोड़ हैं, यानी दुनिया की कुल आबादी में इस समय लगभग 53 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया पर हैं । इन 420 करोड़ यूजर्स में से 98.8 प्रतिशत यूजर्स ऐसे हैं, जो मोबाइल फोन से इस माध्यम के साथ जुड़ते हैं।
इसके अलावा एक दिलचस्प आंकड़ा ये है कि पूरी दुनिया में हर यूजर्स हर दिन औसतन 2 घंटे 25 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है। राज्य गुप्तचर विभाग के शिमला साइबर क्राइम यूनिट द्वारा मंगलवार को सभी जिलों के पुलिस कर्मचारियों के लिए साइबर अपराध के अन्वेषण पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कोर्स में विशेषज्ञों ने ये जानकारी दी।
प्रशिक्षण के दौरान सोशल मीडिया एनालिसिस एंड ओएसआईएनटी पर विस्तृत तौर पर बतलाया गया। इस पाठ्यक्रम में हिमाचल प्रदेश पुलिस की विभिन्न शाखाओं से 31 कांस्टेबलों ने भाग लिया। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को साइबर डोमेन में अपनी विशेषज्ञता विकसित करने और पुलिस जांच में सोशल मीडिया की शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यशाला में बताया गया कि इस समय दुनिया में सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक है जिसके 274 करोड़ यूजर्स हैं। यानी भारत जितनी आबादी के दो देश फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म पर बसाए हुए हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर यूट्यूब है जिसके 229 करोड़ यूजर्स हैं और वाट्सऐप के 200 करोड़ यूजर्स हैं।
सोशल मीडिया से जुड़ी चुनौतियां कहने का मतलब ये है कि सोशल मीडिया की अपनी एक दुनिया है और ये दुनिया काफी विशाल है लेकिन इस पर गैर जिम्मेदार लोगों का भी अब प्रवेश हो चुका है। हम आपको सोशल मीडिया से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बताते हैं।
पहली चुनौती है फेक न्यूज़…
आज सोशल मीडिया फेक न्यूज़ का अड्डा बन चुका है और इसीलिए कुछ लोग ये भी कहते हैं कि फेक न्यूज़ से बचने के लिए सोशल मीडिया डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी हो गई है। एक अध्ययन में पाया था कि सोशल मीडिया के माध्यम से फेक न्यूज़ सही खबरों के मुकाबले में 70 प्रतिशत अधिक रफ्तार से फैलती हैं।
दूसरी चुनौती है सोशल मीडिया की ट्रोल…
सोशल मीडिया आने के बाद से समाज में जो अपराधी थे, जो उत्पात करने वाले लोग थे अब उन्हें गलियों में नारेबाजी नहीं करनी पड़ती क्योंकि अब उन्होंने ट्रोल आर्मी बना ली है। जो अफवाह फैलाती है लोगों को भड़काती है और कई बार किसी की छवि को एजेंडे के तहत तबाह कर देती है। इससे निपटना बड़ी चुनौती है। बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनियां अपने विरोधियों के खिलाफ इन ट्रोल आर्मीज का इस्तेमाल करती हैं।
तीसरी चुनौती ये है कि उसने बड़े-बड़े लोकतांत्रिक देशों की सम्प्रभुता को चुनौती देना शुरू कर दिया है।
चौथी चुनौती ये है कि सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल से लोगों के पर्सनल डेटा की चोरी का भी खतरा बढ़ गया है। साइबर अपराधी के लिए सोशल मीडिया डेटा चुराने के लिए सोने की खान बन चुका है। आज बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने यूजर्स का डेटा विज्ञापन के लिए कंपनियों को बेचती हैं और आपकी निजी जानकारी के साथ समझौता किया जाता है।
पांचवीं चुनौती ये है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से युवाओं पर इसका मानसिक दबाव काफी बढ़ गया है। अब पिक्चर्स पर कितने लाइक्स मिले कितने कमेंट हुए किस वीडियो को कितने लोगों ने देखा और किस कीफ्रेंड लिस्ट में कितने लोग हैं ये बातें युवाओं पर असर डालने लगी हैं। अब परीक्षा में अच्छे नंबर से ज्यादा ये अहम हो गया है कि सोशल मीडिया पर किसके कितने ज्यादा सब्सक्राइबर हैं।