नाहन, 19 अक्तूबर : 1999-2000 वो समय था, जब सामान्य परिवार का बच्चा आईआईटी (IIT) के बारे में सोचता तक नहीं था। दाखिला लेना तो सोचने के बाद की बात थी। मगर, शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में जमा एक में नाॅन मेडिकल संकाय में दाखिला लेने वाले वैभव गौतम ने सोच लिया था कि वो आईआईटी के बाद आईआईएम (IIM) से पढ़ाई करेंगे।
2006 में वार्षिक 10 लाख का पैकेज लेने वाले वैभव गौतम इस समय मलेशिया (Malaysia) की राजधानी कुआलालंपुर में सालाना करोड़ों का पैकेज ले रहे हैं। 1999 में सफलता भी मिली। देश भर में 2000वां रैंक हासिल किया। लेकिन मन में रैंक सुधारने की प्रबल इच्छा थी। एक साल बाद देश भर में 306वां रैंक हासिल कर लिया। आईआईटी दिल्ली में दाखिला मिल गया। इसके बाद आईआईएम कोलकाता से मैनेजमेंट (Management) की पढ़ाई शुरू की।
आपको बता दें कि इस समय न केवल आईआईटी संस्थानों की संख्या बढ़ चुकी है, बल्कि कई गुणा सीटें भी अधिक हैं। स्पष्ट शब्दों में समझें तो 21 साल पहले आईआईटी में दाखिला तो दूर की बात थी, क्षेत्रीय प्रौद्योगिक संस्थान (Regional Institute of Technology) तक में दाखिला आसानी से नहीं मिलता था। चूंकि दिवंगत पिता अनिल कुमार गौतम मत्स्य विभाग में कार्यरत थे, लिहाजा उनकी पोस्टिंग (posting) की वजह से 10वीं की शिक्षा वैभव ने बिलासपुर से पूरी की थी।
2004 में पिता के सड़क हादसे में निधन के बाद वैभव को बड़ा झटका लगा था। बावजूद इसके वो अपने लक्ष्य के लिए अडिग रहे। छोटा चैक के रहने वाले वैभव गौतम ने 2006 में भारत में ही रहकर कैरियर सालाना 10 लाख रुपए से शुरू किया। 9 साल भारत में बिताने के बाद वैभव मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में शिफ्ट हो गए। वहां, विश्व के एक नामी बैंक में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पत्नी ने एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई की है, लेकिन कुछ समय से वो प्रैक्टिस (Practice) नहीं कर रही हैं। 11 साल का बेटा संजेद भी होशियार है।
20 अगस्त 1982 को जन्में वैभव गौतम शहर के पहले ऐसे युवा रहे हैं, जिन्होंने आईआईटी में दाखिला अर्जित करने में सफलता पाई थी। कुआलालंपुर से विशेष बातचीत में वैभव ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि वो अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। हालांकि, कोविड (Covid) की वजह से दो सालों से घर नहीं आ पाए हैं, लेकिन जल्द ही आने का कार्यक्रम है। पैकेज के बारे में पूछे गए सवाल पर मुस्कुराते हुए वैभव ने कहा कि जो भी है, वो बढ़िया है, मगर ये जरूर माना कि सालाना पैकेज करोड़ों में है। लेकिन डबल अंकों में पहुंचने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान को लेकर वो अधिक जानकारी नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में वो आईआईटी की तैयारी करने वालों का मार्गदर्शन करते रहे हैं, लेकिन अब व्यस्त जीवन के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इतना जरूर है कि जो भी कोई जानकारी लेना चाहेगा, वो हर पल तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने शहर के लिए चैरिटी (charity) की गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं, लेकिन इसका प्रचार करने से परहेज करते हैं।