शिमला, 17 अक्तूबर : पहले भी कई मर्तबा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अपने विवादित फैसलों को लेकर चर्चा में आता रहा है। इस बार तो कमाल ही कर दिया गया है। विश्वविद्यालय के वीसी, निदेशक व डीन के लाडलों को सीधे ही पीएचडी में दाखिला दे दिया गया है, जबकि उन लाडलों ने न तो नेट और न ही जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण की है। हिन्दी दैनिक अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक इन अभ्यार्थियों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा भी पास नहीं की है। एचपीयू के वीसी पहले ही नियुक्तियों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।
एचपीयू के वीसी पहले ही नियुक्तियों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सीधे प्रवेश का प्रस्ताव 21 अगस्त को कार्यकारी परिषद की बैठक में मंजूर किया गया। खास बात ये है कि प्रवेश के लिए प्रकाशित विज्ञापन में भी इस कैटेगरी का कोई जिक्र ही नहीं किया गया। इससे कई कर्मचारियों के बच्चे भी दाखिले से वंचित रह गए।
रिपोर्ट के मुताबिक इस सत्र में पीएचडी में सीधे प्रवेश की प्रक्रिया लागू की गई है। कई विभागों में अभ्यार्थियों से एक लाख रुपए एकमुश्त फीस लेकर दाखिले दिए गए हैं। हर विभाग में विश्वविद्यालय कर्मियों के बच्चों की एक-एक सीट का अलग से प्रावधान भी किया गया है। विश्वविद्यालय के कई आला अधिकारियों के बच्चों को कंप्यूटर साईंस, इंगलिश व मैनेजमेंट जैसे विभागों में पीएचडी के लिए प्रवेश दिया गया है।
उधर, एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि एचपीयू में मनमर्जी चल रही है। एनएसयूआई का कहना है कि यह हैरानी की बात है। सीधे प्रवेश के लिए सीटों को क्रिएट कर दिया गया। अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर साईंस के विभागाध्यक्ष जवाहर ठाकुर ने माना है कि नया प्रावधान लागू हो गया है।
कुल मिलाकर देखना ये होगा कि यूजीसी के मापदंडों के मुताबिक विश्वविद्यालय द्वारा ये कदम उठाया जा सकता था या नहीं। वैसे, नियमों के मुताबिक सीधे प्रवेश प्रक्रिया में नेट व जेआरएफ उत्तीर्ण करने वाले ही पात्र होते है।