नाहन, 9 अक्तूबर : हिमाचल के गिरिपार क्षेत्र की पांच पंचायतों में 53 वर्षीय पंडित लायक राम शर्मा हर पल अपने यजमानों का दुख दूर करने का प्रयास करते थे। वो, अक्सर ही कहा करते थे कि सांसें थमने के बाद आपकी आंखें दुनिया देखती रहें। आपके शरीर के किसी हिस्से से किसी को नवजीवन मिल जाए।
कुदरत की मर्जी देखिए, चंद रोज पहले शिलाई उपमंडल के भांबल गांव के रहने वाले 53 वर्षीय लायक राम शर्मा अपने यजमानों के साथ पितृदोष दूर करने के लिए पेहवा जा रहे थे। रास्ते में हरियाणा के खिदराबाद में भीषण सड़क दुर्घटना हो गई। इस आपदा को भी खुद पर ही लिया। हालांकि वाहन में सफर कर रहे अन्य लोग यमुनानगर में उपचाराधीन हैं, लेकिन पंडित लायकराम जी की हालत नाजुक थी। शुक्रवार की शाम पीजीआई चंडीगढ़ में अंतिम सांस ली। चिकित्सकों ने पहले ही उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया था। ऐसी हालत में पंडित लायक राम शर्मा के अंगों का प्रत्यारोपण संभव था।
परिवार से जब पूछा गया कि क्या वो अंगदान करना चाहतेे हैं तो हरेक सदस्य कुछ पलों के लिए गहरी सोच में पड़ गया। पत्नी दीपो देवी से भी संपर्क हुआ। बेटों बलदेव शर्मा, देवेंद्र, रिखी राम इत्यादि ने भी विचार विमर्श शुरू कर दिया। भतीजी लक्ष्मी शर्मा भी इसमें शामिल हुई। आखिर में हर किसी के मन में वो सवाल भी कौंध गया, जिसमें पंडित लायक राम शर्मा अक्सर कहा करते थे कि वो जब इस दुनिया से जाएंगे, किसी को पता भी नहीं चलेगा।
वो ये भी कहा करते थे कि वो मृत्यु के बाद शरीर दान करना चाहते हैं, ताकि किसी दुखियारे की दुनिया संवर सके व उनकी आंखें जाने के बाद भी दुनिया को देखती रहे। हालांकि चिकित्सकों के सवाल का जवाब ‘‘हां’’ में देना परिवार के लिए पीड़ादायक था, लेकिन मानव सेवा की भावना से प्रेरित परिवार ने लंबे सोच-विचार के बाद हामी भर दी। साथ ही इस बात की परवाह नहीं की कि कौन क्या कहेगा। हालांकि, स्पष्ट नहीं है लेकिन पीजीआई से परिवार को ये भी बताया गया है कि इस तरह का नेक कार्य करने वाले पंडित लायक राम शर्मा सिरमौर की दूसरी शख्सियत हैं, जिन्होंने देह दान कर मानवता की मिसाल पेश की है।
बता दें कि पंडित लायक राम शर्मा का अंतिम संस्कार रविवार को पैतृक गांव में किया जाएगा। उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में बेटे बलदेव शर्मा व बेटी लक्ष्मी शर्मा ने कहा कि देहदान को लेकर जब चिकित्सकों ने पूछा था तो एक पल के लिए वो अवाक रह गए थे। मगर जब पिता जी की बातें याद आई तो परिवार ने सामूहिक फैसला लिया था।
उल्लेखनीय है कि पंडित लायक राम शर्मा इलाके में एक मशहूर ज्योतिषाचार्य थे। परिवार के मुताबिक वो अक्सर ही लोगों की सेवा में लगे रहते थे। कई मर्तबा आधी रात को घर लौटने पर जब सवाल पूछा जाता था तो हमेशा ही ये कहा करते थे कि जीना है तो दूसरों के लिए जियो, अपने लिए तो हर कोई जीता है। अपनी इन पंक्तियों को पंडित लायक राम शर्मा ने जीते जी तो सार्थक किया ही, साथ ही संसार त्यागने के बाद भी इन पंक्तियों की कसौटी पर परिवार के फैसले से खरा उतरने में सफल रहे।
सही मायनों में परिवार की उन्हें ये सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित हुई है।