शिमला, 8 अक्तूबर : हालांकि उप चुनाव में भाजपा को अर्की विधानसभा क्षेत्र में भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन नजरें कोटखाई-जुब्बल विधानसभा क्षेत्र पर टिकी हुई हैं। वजह साफ है, जो युवक पार्टी का चेहरा था, उसका अंतिम समय पर टिकट कट गया। बरागटा समर्थकों ने इसका ठीकरा काबिना मंत्री सुरेश भारद्वाज के खिलाफ नारेबाजी कर फोड़ा है।
टके का सवाल…शुक्रवार के राजनीतिक घटनाक्रम में टके के सवाल भी पैदा हुए हैं। टिकट कटने के बाद वीरवार को चेतन बरागटा जनसभा में रोते हुए सहानुभूति बटोर रहे थे। रातों रात ही शुक्रवार को बतौर आजाद उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने का फैसला हो गया। खड़ा पत्थर में नामांकन पत्र के दौरान शक्ति प्रदर्शन से पहले उनके चेहरे पर लंबी मुस्कान थी। रातों रात ऐसी क्या खिचड़ी पकी कि बगावत भी हो गई और आत्मविश्वास भी आ गया।
MBM News Network is now on Telegram. Click here to join Channel (@mbmnewsnetwork) and stay update with the latest News
आज के समूचे घटनाक्रम में एक दिलचस्प बात थी, वो ये कि बीजेपी कार्यकर्ता या नेता की तरह गले में भगवा रंग का पटका डाला हुआ था। संशय इस बात पर पैदा हो रहा है कि क्या भगवा पहनकर वो खुद को अपरोक्ष तौर पर भाजपा का प्रत्याशी दिखाने की कोशिश तो नहीं कर रहे थे।
अब जब आपने बगावत कर दी है तो सीधे-सीधे बीजेपी से किनारा क्यों नहीं। ये बात यहीं नहीं रुकी, बरागटा ने बीजेपी के खिलाफ शुक्रवार को एक भी लफ्ज नहीं बोला। बल्कि, यही बोलते रहे कि मैं तो भाजपा में हूं। तो क्या इससे मतदाता भ्रमित नहीं होंगे। वो इन सब बातों से ये साबित कर रहे हैं कि जीते तो भाजपा में ही होंगे।
याद कीजिए, सिरमौर के पच्छाद हलके के उप चुनाव में जिला परिषद की सदस्य दयाल प्यारी ने भाजपा के खिलाफ बगावत की थी। खुलकर उन नेताओं को निशाने पर लिया था, जिनकी वजह से टिकट कटा था। यही नहीं, दयाल प्यारी ने एक इंतजार के बाद कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। लेकिन कोटखाई-जुब्बल के उप चुनाव में बीजेपी से बगावत करने वाले पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन के तेवर बीजेपी के लिए नरम थे।
बता दें कि कुछ अरसा पहले देश में सबसे युवा बीडीसी चेयरपर्सन का गौरव हासिल कर चुकी प्रज्जवल बस्टा को भाजपा ने प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त कर दिया था, लेकिन ये नियुक्ति 72 घंटे से भी कम वक्त में खारिज कर दी गई। इस घटनाक्रम से भी संकेत मिलते हैं कि पार्टी के स्थानीय नेताओं के बीच कुछ न कुछ अंतर्कलह थी।
ये भी सवाल…हालांकि भाजपा ने चेतन बरागटा का टिकट काटने के पीछे परिवारवाद की दलील दी है। चूंकि मुख्यमंत्री ने काफी अरसा पहले ही चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी, लिहाजा कोटखाई व जुब्बल में घोषणाओं का अंबार लगा दिया था। इस दौरान चेतन बरागटा को ही पार्टी प्रत्याशी के तौर पर प्रोजैक्ट कर दिया। सीएम के बयान आज भी समाचारपत्रों के अलावा न्यूज वैबसाइट पर उपलब्ध होंगे। चेतन ने एक दलील ये दी है कि वो परिवारवाद की परिधि में नहीं आते, क्योंकि वो अपने स्तर पर ही 15 साल से भाजपा से जुड़े हुए थे।
हालांकि एमबीएम न्यूज नेटवर्क को पुख्ता सूत्रों ने बीजेपी की आधिकारिक सूची जारी होने से पहले ही चेतन बरागटा का टिकट कटने की जानकारी दे दी थी, लेकिन खबर के प्रकाशन से पहले पार्टी के आधिकारिक बयान का इंतजार किया गया। टिकट कटने की बात को लेकर एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने बीजेपी के शीर्ष नेता से भी बात की थी।
कुल मिलाकर हिमाचल को दो मुख्यमंत्री देने वाले कोटखाई-जुब्बल विधानसभा क्षेत्र में खूब सियासी हलचल चल रही है। फिलहाल इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि पार्टी ने चेतन बरागटा को मनाने की कोशिश की हो।