नाहन, 6 अक्तूबर : आश्विन नवरात्र शुरू हो गए हैं। शिवालिक पहाड़ियों पर विराजमान मां के भवन का नजारा अदभुत है। औद्योगिक कस्बे कालाअंब से 6 किलोमीटर की दूरी पर माता बाला सुंदरी का भव्य मंदिर श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी और आकर्षित करता है। पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान मां बाला सुंदरी को वैष्णों माता का बाल स्वरूप माना जाता है।मंदिर का इतिहास लगभग 430 साल पुराना है।
ऐसी मान्यता है कि विक्रमी सम्वत 1627 में माता साक्षात रूप में इस स्थान पर प्रकट हो गई थी। स्वप्न में माता का आदेश पाकर तत्कालीन शासक प्रदीप प्रकाश ने मंदिर का निर्माण करवाया था। सिरमौर के शाही महल नाहन में भी माता का हूबहू मंदिर मौजूद है। 3 मार्च 1974 को मंदिर की देखरेख को हिमाचल सरकार ने अपने हाथों में ले लिया। ऐसी भी धारणा है कि इस स्थान पर त्रिपुरबाला, बाला सुंदरी व त्रिभवानी देवियां विराजमान हैं, इसी कारण स्थान का नाम त्रिलोकपुर पड़ा था। अति शांत व मनोरम प्राकृतिक परिवेश में स्थित मंदिर में शीश नवाजने उत्तर भारत के लाखों श्रद्धालु हर बरस पहुंचते हैं।
भक्तों का मानना है कि सैंकड़ों साल पहले यहां एक रामदास नाम का व्यापारी रहता था। वो देवबंद से नमक लेकर आया था। बेचने के बाद जब नमक कम नहीं हो रहा था, तो वह घबरा गया। रात्रि को मां भगवती ने व्यापारी को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि मैं पिंडी रूप में तुम्हारी नमक की बोरी में आ गई हूं। मेरा स्थान पीपल वृक्ष की जड़ में है। लोक कल्याण हेतु मंदिर का निर्माण करवाओ। सुबह के समय बादलों की गड़गड़ाहट के साथ ही पीपल का पेड़ फट गया और माता साक्षात रूप में प्रकट हो गई।
वास्तुकला का जीता जागता प्रमाण मंदिर की संरचना से महसूस किया जा सकता है। भवन के चारों तरफ देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। ऐसा भी माना जाता है कि अगर परिसर में मौजूद वृक्ष पर धागा बांधकर मां से मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना की जाए तो मुराद अवश्य पूरी होती है।
मां की नगरी में म्यूजियम का निर्माण पहाड़ी शैली में हुआ है, वहीं ध्यानु भगत मंदिर का भी जीर्णोद्वार भी हो चुका है। करोड़ों रुपए के विकास कार्य प्रगति पर हैं। माता के मूल स्थान पर चांदी की नक्काशी आकर्षण का केंद्र रहती है। ये सब कुछ श्रद्धालुओं की मां के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही संभव हुआ है।हाल ही में एक दानी ने चांदी की नक्काशी के अधूरे कार्य को भी पूरा करवा दिया है।
इस साल आश्विन नवरात्र के अवसर पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा 7 अक्तूबर से 22 अक्तूबर तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी जारी की गई है। बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को 72 घंटे की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। इससे उन श्रद्धालुओं को छूट होगी, जो वैक्सीन की दोनों डोज का प्रमाणपत्र साथ लेकर आएंगे।
*नवरात्र की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं*
*मां आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें।*