मंडी,06 अक्तूबर: पितृ पक्ष का अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या या पितृ विसर्जनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष आश्विन मास की अमावस्या तिथि को ही सर्व पितृ अमावस्या होती है। 6 अक्टूबर बुधवार को जिला के विभिन्न क्षेत्रों में सर्व पितृ अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध, तर्पण एवं पिंडदान किया गया।
जिला के कोटली तहसील के धरवाल्डी गांव की मीना देवी ने बताया कि इस दिन पृथ्वी लोक पर आए उन सभी पितरों को श्राद्ध कर्म से आत्मा तृप्त करके पितृ लोक विदा करते हैं और पितर तृप्त होकर अपनी संतानों के सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देकर खुशी-खुशी अपने लोक चले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन वे लोग भी अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं, जो किसी कारणवश अपने पितरों का श्राद्ध निश्चित तिथि पर नहीं कर पाए हैं। वे इस दिन ही अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान या श्राद्ध करते हैं और अपनी संतानों के लिए सुख शांति की कामना मांगते हैं।
इसके साथ ही श्राद्ध के दौरान अपने पितरों की याद में लोग सगे संबंधियों को पकवान भी देते हैं जिसे स्थानीय भाषा में भाटी कहा जाता है। इन 15 दिनों में केवल पितरों की शांति के लिए पूजा अर्चना भी कराते हैं। इसके बाद अब 7 अक्टूबर से शरद नवरात्रि और शादी व अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।