शिमला, 04 अक्टूबर : कांग्रेस ने मंडी लोकसभा उपचुनाव के लिए कैंडिडेट की घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र वाली इस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने छह बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को कैंडिडेट घोषित किया है। वीरभद्र सिंह का विगत 8 जुलाई को निधन हुआ था। उनके निधन से कांग्रेस पार्टी में एक युग का अंत हो गया। अब कांग्रेस की परंपरागत लोकसभा सीट मंडी से दो बार सांसद रही प्रतिभा सिंह को टिकट देकर कांग्रेस सहानुभुति कार्ड का बड़ा दांव खेलेगी।
दअरसल स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के कद से कांग्रेस आलाकमान भली भांति वाकिफ रहा है। यही वजह रही कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा उपचुनाव के लिए घोषित उम्मीदवारों की सूची में प्रतिभा के नाम के साथ वीरभद्र सिंह लिखा गया है। यानी मतलब साफ है कि आलाकमान भी वीरभद्र सिंह का सहानुभूति कार्ड बटोरना चाह रही है।
हिमाचल में कांग्रेस पार्टी वीरभद्र सिंह के इर्द गिर्द ही पिछले तीन-चार दशक से हिमाचल कांग्रेस में वीरभद्र सिंह का पूर्ण वर्चस्व रहा है। उनके निधन पर राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई आला नेता श्रधांजलि देने शिमला और रामपुर पहुंचे थे। रामपुर बुशहर में वीरभद्र सिंह की अंतिम यात्रा के दौरान भारी जनसैलाब उमड़ा था।
वीरभद्र सिंह की अंतिम यात्रा के दौरान उनकी याद में लगे नारे “देखो-देखो कौन आया, शेर आया-शेर आया” हर शख्स की जुबां पर गूंजता रहा। दीगर है कि रामपुर सहित लाहौल-स्पीति और किन्नौर विधानसभा क्षेत्र मंडी संसदीय क्षेत्र के हिस्से हैं और यहां पर वीरभद्र सिंह का खासा वर्चस्व रहा है। मतलब साफ है कि कांग्रेस इस सीट पर वीरभद्र सिंह का सहानुभूति कार्ड का दांव चलाएगी।
उधर, प्रतिभा सिंह की टिकट की आधिकारिक घोषणा होने के बाद उनके बेटे विधायक विक्रमादित्य सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर पिता वीरभद्र सिंह को लेकर एक भावनात्मक अपील पोस्ट की है। विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट डाली है कि वोट नहीं श्रद्धांजलि।
इस पोस्ट में वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा है कि मंडी संसदीय क्षेत्र के अधूरे विकास कार्यों को सही मुकाम तक पहुंचाना है। इस पोस्ट के बाद विक्रमादित्य सिंह सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड हो रहे हैं। उनके पोस्ट पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक फेसबुक यूजर ने लिखा है श्रद्धांजलि के नाम पर वोट बैंक की राजनीति है। तो अन्य यूजर की प्रतिक्रिया है श्रद्धांजलि के नाम पर वोट नहीं मांगने चाहिए।
कुल मिलाकर विक्रमादित्य सिंह के सियासी कैरियर के लिए मंडी उपचुनाव अहम साबित होगा अगर ये सीट कांग्रेस की झोली में गई, तो सूबे की राजनीति में विक्रमादित्य सिंह का कद बढ़ जाएगा। वहीं शिकस्त होने पर उनके विरोधी हावी होने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।बता दें कि भारतीय चुनावी इतिहास में सहानुभूति वोटों की बड़ी भूमिका रही है।
कई बार ऐसे मौके आए जब यह साबित हुआ कि मतदाताओं का झुकाव आखिरी वक्त में भी बदल जाता है और वो पीड़ित लगने वाले पक्ष का साथ दे देते हैं। तो क्या मंडी सीट में भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है? इस सवाल का जवाब तो 2 नवम्बर को ही मिल पाएगा।