नाहन, 2 अक्तूबर: पहाड़ी राज्य में भवन व अन्य निर्माण कार्यों में लगे कामगारों के कल्याण के मकसद से कई प्रभावी योजनाएं उपलब्ध हैं, मगर इसके प्रचार-प्रसार में कमी के कारण कामगार इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। ये योजनाएं कामगारों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड (HP Building & Other Construction Work Welfare Board) के अध्यक्ष डाॅ. राकेश शर्मा ‘‘बबली’’ ने कमर कसी हुई हैै।
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नियुक्ति के 40 दिन के भीतर वो धरातल पर पहुंचकर इस मकसद को सार्थक करने के लिए 38 बैठकें कर चुके हैं। ये खुलासा, खुद एमबीएम न्यूज नेटवर्क के कार्यालय में पहुंचे डाॅ. राकेश शर्मा ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान किया है। बता दें कि डॉ. राकेश इस समय कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष के अलावा राज्य के भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। कार्यालय में शैलेंद्र कालरा से विशेष बातचीत के अंश…
–हिमाचल भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड की नई योजनाएं क्या हैं?
जल्द ही कामगारों के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की जा रही है, ताकि योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक कामगारों को मिले।
-बोर्ड की क्या खास योजनाएं हैं?
कामगारों की बेटियांे को शादी के लिए 75 हजार की राशि दी जा रही है। ये राशि पहले 41 हजार थी, अब इसे बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा अगर कामगार के घर बेटी का जन्म होता है तो बोर्ड 51 हजार रुपए की एफडीआर उपलब्ध करवाता है।
-बोर्ड में कितने कामगार पंजीकृत हैं, भविष्य का लक्ष्य क्या है?
इस समय लगभग 3 लाख 25 हजार कामगार पंजीकृत हैं। इसे 4 लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य है। ये बात भी सही है कि कामगारों को अपने हकों को लेकर जागरूकता नहीं है।
-आपको अगस्त के पहले सप्ताह में जिम्मेदारी दी गई थी। तब से लेकर अब तक क्या उपलब्धियां रहीं?
दिन-रात धरातल पर पहुंच कर योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने का प्रयास कर रहा हूं। सिरमौर के पांवटा साहिब में इसी सिलसिले में आया था। प्रदेश के हरेक जिला में दौरा कर चुका हूं।
-क्या बोर्ड की योजनाओं का लाभ प्रवासी मजदूरों को भी मिलता है?
बिलकुल, प्रवासी मजदूर भी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। मनरेगा में अगर 90 दिन की दिहाड़ी है तो कामगार पंजीकरण करवाकर सुविधा ले सकते हैं। इसमें कोई मनाही नहीं है। बोर्ड का दायरा विस्तृत है, ताकि अधिक से अधिक कामगारों को जीवन की सुरक्षा मिल सके।
-बोर्ड के अध्यक्ष के नाते लगभग 40 दिन का अनुभव कैसा रहा?
बेहतरीन अनुभव रहा है। एक बार सफर के दौरान पाया कि भवन में कुछ कामगार बेहतरीन तरीके से कार्य कर रहे थे। सड़क के किनारे खड़े होकर लकड़ी का कार्य कर रहे इन कामगारों को मौके पर ही पंजीकृत करवाया। ये वो कामगार होतेे हैं, जो आलीशान भवन तो बनाते हैं, लेकिन अपने जीवन में दो कमरे भी सही तरीके से नहीं बना पाते। महसूस करता हूं कि समाज में एक अहम भूमिका निभाने वाले कामगारों को सरकार द्वारा बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं, ताकि वो भी जीवन में खुद को सुरक्षित समझ सकें।
-कामगारों के बच्चों की शिक्षा के लिए भी क्या कोई योजना है?
जी बिलकुल, पहली से पीएचडी तक अगर कामगार अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं तो बोर्ड द्वारा उन्हें निशुल्क सुविधा प्रदान की जाती है। इसमें 5 लाख तक की राशि खर्च करने का प्रावधान होता है।
–बतौर भाजपा प्रदेश किसान मोर्चा अध्यक्ष क्या प्राथमिकताएं रहीं, इसमें उपलब्धियों का जिक्र करें?
जब किसान मोर्चा का बतौर अध्यक्ष कार्यभार संभाला था तो पांच प्राथमिकताएं तय की थी। इसमें बेसहारा पशुओं के कारण किसानों का नुकसान, मंडियों का विकास, कोल्ड स्टोरेज निर्माण, प्राकृतिक खेती व केसर, हींग की खेती को बढ़ावा शामिल था।
-यानि कह सकते हैं, आपकी प्राथमिकता में पंच मंत्र थे तो उपलब्धियां क्या रहीं?
हरेक प्राथमिकता पर कार्य हुआ है। सूबे में 31 मार्च 2020 तक बेसहारा पशुओं को आश्रय दिलवाने का लक्ष्य है। मंडियों के विकास पर 197 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। कोल्ड स्टोरेज पर 25 करोड़ व्यय किए जा रहे हैं। इसके अलावा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ का प्रावधान हुआ है। केसर व हींग को लेकर भी प्रभावी तरीके से कार्य हो रहा है।
-हाल ही में सेब के गिरे दामों से बागवानों को काफी नुकसान हुआ, आपकी क्या टिप्पणी है?
दरअसल, एक ट्रैंड होता है। सीजन के शुरू होते ही मंडियों में पहुंचने वाले सेब को बेहतरीन दाम मिल जाते हैं। इसके बाद मंडियों मे सेब की आमद बढ़ जाती है, लिहाजा दामों में गिरावट आनी शुरू होती है। बाद में फिर दाम ऊंचाई पर पहुंचते हैं। इस दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। ठियोग के समीप पराला में कोल्ड स्टोर का निर्माण किया जा रहा है। इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
अगर दाम गिरते हैं तो बागवान सीधे अपने उत्पाद को कोल्ड स्टोर में भंडारण कर सकेंगे। जब मंडी सुधरती है तो अपनी इच्छा अनुसार फसल को बेच पाएंगे। इससे एक बेहतरीन परिणाम आने की उम्मीद है।