शिमला, 29 सितम्बर : सरकारी कर्मी नियमित सेवा का दस वर्ष का सेवाकाल पूरा करने पर पेंशन लेने का अधिकार रखता है। प्रदेश उच्च न्यायालय की तीन जजों की पीठ ने पेंशन से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुंदर सिंह नामक मामले में पारित फैसले की व्याख्या करते हुए यह स्पष्ट किया कि बतौर दिहाड़ीदार की गई सेवा और नियमित सेवा के कार्यकाल को जोड़ कर यदि सरकारी कर्मी के दस वर्षो का सेवाकाल बनता है तभी सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुंदर सिंह नामक मामले में यह व्यवस्था दी है कि 5 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 1 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर गिना जाएगा। 10 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 2 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा। ताकि कर्मी 1 या 2 वर्षो की नियमित सेवा की कमी के चलते पेंशन के लाभ से बंचित न हो सके। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल व न्यायाधीश चंद्रभूसन बारोवालिया की पीठ ने बालों देवी के मामले में यह फैसला सुनाते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ, न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पारित फैसले से सहमति जताई।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुंदर सिंह नामक फैसले को लेकर एकल पीठ व अन्य खंडपीठ के फैसलों में विरोधाभास उत्पन्न हो गया था जिस कारण मामले को तीन जजों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था। एकल पीठ व अन्य खंडपीठ का यह मत था कि अगर नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए 8 वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा हो जाता है तो उस स्थिति में सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा।
उल्लेखनीय है कि सुंदर सिंह के फैंसले में 8 साल की सेवा को 10 वर्ष आंकने का भी जिक्र किया गया है। जबकि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का यह मत था कि नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए अगर 10 वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा होता है तभी सरकारी कर्मी नियमित पेंशन लेने का हक रखेगा।