शिमला 29 सितंबर : तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा वीर विक्रम सेन को हजारों कीे संख्या में लोगों ने अश्रुपूर्ण विदाई दी गई। बता दें कि वीर विक्रम सेन (56) का बुधवार को प्रातः करीब आठ बजे आईजीएमसी में निधन हो गया था। वीर विक्रम सेन के निधन की खबर से समूचे क्योंथल क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी और राजा वीर विक्रमसेन के अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा।
राजा वीर विक्रम सेन अपने पीछे धर्मपत्नी रानी विजय ज्योति सेन, बेटा खुश विक्रम सेन और बेटी सुन्दिनी छोड़ गए है। इनका अंतिम सरकार अश्वनी और शैमला खडड के समागम दोगड़ा पुल के पास रियासती परंपरा के अनुसार किया गया। इनके बेटे खुश विक्रम सेन ने मुखग्नि दी गई। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार वीर विक्रमसेन की बुधवार की सुबह कुछ तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें रानी विजय ज्योति सेन द्वारा आईजीएमसी ले जाया गया जहां पर करीब आठ बजे हृदयगति रूक जाने से उनका निधन हो गया।
राजा वीर विक्रम सेन के चचेरे भाई कंवर गिरिराज सिंह ने बताया कि वीर विक्रम सेन क्योंथल रियासत के 104वें शासक थे। जबकि शिमला गेजेटियर के अनुसार राजा वीर विक्रम सेन क्योंथल रियासत के 78वें शासक थे। इनका जन्म 4 अप्रैल,1965 को जुन्गा में हुआ था। इनके पिता राजा हितेन्द्र सेन के निधन पर इन्हें 13 दिसंबर 2002 को उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। वीर विक्रम सेन के निधन की सूचना मिलते ही पूर्व सीएम स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, विधायक विक्रमादित्य सहित प्रदेश के विभिन्न राजघराने के गणमान्य व्यक्ति उनके अंतिम दर्शन के लिए जुन्गा पहुंच गए। पारिवारिक सदस्यों में अरुण सेन, पंकज सेन, पृथ्वी विक्रम सेन इत्यादि शामिल थे।
राजा वीर विक्रम सेन के असमायिक निधन पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज , जिला भाजपा अध्यक्ष रवि मेहता, सक्षम गुडिया बोर्ड की उपाध्यक्षा रूपा शर्मा, प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर, कुसुम्पटी भाजपा मंडल अध्यक्ष जितेन्द्र भोटका, महामंत्री पवन शर्मा, जिला भाजपा सदस्य प्रीतम ठाकुर सहित अनेक लोगों द्वारा गहरा शोक व्यक्त किया गया है ।
अंतिम यात्रा शुरू करने से पहले रियासती परंपरा के अनुसार वीर विक्रम सेन के बेटे खुश विक्रम सेन को वेदोक्त मंत्रों के साथ क्योंथल रियासत का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। खुश विक्रमसेन एमिटी विश्वविद्यालय दिल्ली में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
वीर विक्रम सेन की बेटी सुन्दिनी, जिसका विवाह उड़ीसा के पुरी में हुआ है। वह अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए नहीं पहुंच पाई। क्योंथल क्षेत्र में राजा को चौथा इष्ट माना जाता है। जिसमें पहला इष्ट देव जुन्गा, दूसरी माता तारा देवी, तीसर कशयाला के हनुमान और चौथे इष्ट राजा को माना जाता है। देव जुन्गा के पुजारली मंदिर के प्रमुख पुजारी रामकृष्ण मेहता ने बताया कि राजा के निधन होने से आगामी एक वर्ष समूचे क्योंथल क्षेत्र में कोई भी शुभ कार्य एवं त्यौहार नहीं मनाया जाएगा।