कुल्लू, 27 सितंबर : जिला में बुनकर सेवा व डिजाइन रिसर्च केन्द्र की स्थापना की जाएगी जो राज्य के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनके निर्यात के लिए बेहतर मंच प्रदान करेगा। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कुल्लू के अटल सदन में हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के स्वर्णिम जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में सेवा व समर्पण अभियान के अंतर्गत हस्तशिल्प एवं हथकरघा कारीगरों के साथ एक संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए यह घोषणा की। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
पीयूष गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हस्तशिल्प की अपार संभावनाएं मौजूद है। बुनकर सेवा केन्द्र में कारीगरों का कौशल उन्नयन, उन्हें आधुनिक उपकरण प्रदान करना व नए डिजाइन तैयार करने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि इस केन्द्र के लिए पहले से तैयार कोई भवन उपलब्ध है तो इसका संचालन तुरन्त आरम्भ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजाइनिंग, गुणवत्ता, पैकेजिंग तथा विपणन को आधुनिक बनाने पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि बुनकरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों के बढ़िया दाम मिले।
कुल्लू के हस्तशिल्प विशेषकर टोपी व शाॅल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। दिल्ली की संसद में कुल्लवी टोपी अक्सर देखी जा सकती है। कोई भी राष्ट्राध्यक्ष जब भारत आता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुल्लवी टोपी व मफलर से उनका स्वागत करते हैं और इससे हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ता है। उन्होंने बुनकरों से कहा कि पारंपरिक परिधानों का संरक्षण करना जरूरी है क्योंकि ये हमारी संस्कृति से भी जुड़े हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने प्रदेश के उत्पादों का बड़े शहरों के अलावा कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों तथा पांच सितारा होटलों में जिलावार प्रदर्शनियां आयोजित करने का सुझाव दिया ताकि इनकी ब्रैण्ड राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो। उन्होंने बुनकरों से कहा कि वे अपना टेªड मार्क प्राप्त करें जिसके लिए केन्द्र सरकार ने पंजीकरण शुल्क 80 फीसदी कम कर दिया है। केन्द्र सरकार ने हस्तशिल्प वस्तुओं के प्रोत्साहन के लिए एक समिति का गठन भी किया है जो इनकी गुणवत्ता, डिजाईन व विपणन को बेहतर बनाने के सुझाव सरकार को देगी। उन्होंने इसी प्रकार की समिति हिमाचल प्रदेश में गठित करने का सुझाव दिया।
पीयूष गोयल ने जिला के उद्यमियों के साथ परस्पर संवाद किया। उन्होंने स्थानीय हस्तशिल्प व हथकरघा कारीगरों को वुड क्राफ्ट, हथकरघा, कढाई मशीन व प्रमाण पत्र भी वितरित किए। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के कारीगरों को प्रोत्साहित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए गए हैं। प्रदेश में वर्तमान में 13572 पंजीकृत बुनकर हैं जिनकी आजीविका बुनाई व कढ़ाई के हुनर से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि कुल्लू शाल व टोपी सहित चंबा रूमाल व किन्नौरी शाल को जी.आई. टैग मिल चुके हैं। बुनकरों के लिए ऑनलाइन बिक्री मंच की सुविधा प्रदान करने के लिए फ्लिपकार्ट के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है जिसके माध्यम से प्रदेश के उत्पादों एवं कला को पहचान मिलेगी।
इसके अलावा विभाग भी उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री कर रहा है।जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों के डिजाइन व गुणवत्ता में बीते 50 सालों में बहुत बड़ा बदलाव आया और इनका वाणिज्यिक उपयोग कर हजारों परिवारों ने इसे आजीविका का साधन बना लिया है।