नाहन, 24 सितंबर : हिमाचल प्रदेश के कालाअंब हिमालयन ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन (Himalayan Group of Institutions) में बी फार्मेसी के द्वितीय वर्ष के 18 वर्षीय छात्र विवेक ने एक बार फिर इतिहास बनाया है। मात्र 18 साल की उम्र में ग्लोबल ह्यूमन पीस यूनिवर्सिटी (Global Human Peace University) ने विवेक को पीएचडी की उपाधि से अलंकृत किया है। जूनियर वैज्ञानिक विवेक कुमार के साथ-साथ समूचा स्टाफ में खुशी की लहर है। अरसा पहले अपने पिता को खो चुके विवेक का इरादा नीट (NEET) परीक्षा उत्तीर्ण कर डॉक्टर बनने का था। लेकिन जब पहली कोशिश में सफलता नहीं मिली तो दूसरी कोशिश न करने का प्रयास किया।
मन में वो विचार कौंध जो बचपन से ही वैज्ञानिक (Scientist) बनने का था। 2019 में एक ऐसा आविष्कार किया जो देश भर में चर्चित हो गया।
दरअसल नन्हे वैज्ञानिक ने एक “ए पावर शु” को इजाद किया। इससे चलने या फिर दौड़ने पर मोबाइल को रिचार्ज (Recharge) किया जा सकता था। इसकी खासियत यह भी थी कि अगर सैनिक युद्ध या फिर ग्लेशियर (glacier) मैं लापता हो जाए तो जूतों के जरिए उनकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। यही नहीं विवेक अपनी धुन में आगे भी बरकरार रहा। इसके बाद हर्बल तरीके से एक ऐसे प्रोडक्ट को तैयार किया, जिससे मच्छर आपको नहीं काटेंगे। यानी विवेक ने “एंटी मॉस्किटो लिक्विड” बना दिया था।
कालाअंब पहुंचने पर उसे संस्थान द्वारा प्रयोगशाला में तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। लिहाजा फार्मेसी के पढ़ाई के दौरान भी विवेक ने एक “इम्यूनिटी बूस्टर” का आविष्कार किया। इसे कमर्शियल तौर पर मार्केट पर भी लॉन्च कर चुके हैं। इसके सैम्पल्स (samples) की टेस्टिंग कोलकाता व दिल्ली की लैब्स से करवाई है। मूलतः बिहार के गोपालगंज के रहने वाले विवेक ने हिमाचल के स्कूली छात्रों के साथ-साथ युवाओं को एक सकारात्मक संदेश (positive message)दिया है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से फोन पर बातचीत में विवेक कुमार का कहना था कि “ए पावर शु” के आविष्कार के बाद उन्हें कनाडा से अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (international award) भी मिला था। अब तीनों शोध के आधार पर ग्लोबल हुमन पीस यूनिवर्सिटी ने पीएचडी की उपाधि से अलंकृत किया है। दीगर है कि विवेक का नाम किंग बुक ऑफ़ वर्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके लिए उन्हें हिमाचल (Himachal) से ताल्लुक रखने वाले दबंग आईपीएस अधिकारी मनु महाराज ने सम्मानित किया था।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पिता साइंस अध्यापक थे, जिनका निधन हो चुका है। माता एक गृहणी है। विवेक ने कहा कि वह नीट की परीक्षा में सफलता चाहते थे। लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो उनका ध्यान बचपन के जनून की तरफ अग्रसर हो गया। यहीं से उन्होंने नए अविष्कार करने का मन बना लिया था।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा बाल वैज्ञानिकों (child scientists) को बनाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। वो 12 साल की उम्र में ऐसे कार्यक्रमों के साथ जुड़ गए थे। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय परिवार के इलावा शिक्षकों को दिया है। उधर, हिमालयन ग्रुप के वाइस चेयरमैन विकास बंसल ने एमबीएम से बातचीत में कहा कि यह बेहद ही खुशी की बात है कि 18 साल की उम्र में विदेश के विश्वविद्यालय ने छात्र को पीएचडी (PhD)की उपाधि से अलंकृत किया है।
गौरतलब है कि विवेक कुमार इस समय अपने घर पर ही हैं। उनका कहना था कि कॉलेज खुलने के बाद वह अपने संस्थान लौट आएंगे। उल्लेखनीय है कि देश के सबसे युवा जिला परिषद अध्यक्षा मुस्कान भी इसी कॉलेज की छात्रा है,वो लॉ की पढ़ाई के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा दे रही हैं।