मंडी, 23 सितंबर : अगर बच्चा पाल नहीं सकते तो कृपया करके उसे मौत की नींद भी न सुलाईए। उसे अस्पताल में स्थापित ’’पालना शिशु स्वागत केंद्र’’ में छोड़ दीजिए, कोई आपसे पूछताछ नहीं करेगा। सरकार (Govt.) की इस योजना का शायद बहुत ही कम लोगों को पता है और यही कारण है कि कलयुगी मां ने इस जानकारी के अभाव में अपनी दो नवजात बच्चियों को मौत की नींद सुला दिया।
आपको बता दें कि मंडी जिला के छः अस्पतालों में यह सुविधा मौजूद है। इनमें जोनल हॉस्पिटल मंडी, सिविलि हास्पिटल सुंदरनगर, सरकाघाट, जोगिंद्रनगर, करसोग और जंजैहली हॉस्पिटल शामिल हैं। जोनल हॉस्पिटल मंडी में यह पालना ब्लड बैंक के सामने स्थापित किया गया है। यदि आप अपने बच्चे को पालने में असमर्थ हैं तो यहां पर आप 6 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे को छोड़ सकते हैं।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेश ठाकुर ने बताया कि बच्चों को न मारा जाए और उन्हें हर कहीं न छोड़ा जाए, इसकी रोकथाम के लिए ही यह पालना स्थापित किया गया है। यदि अभिभावक चाहें तो सीधे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष भी बच्चे को छोड़ सकते हैं। उन्होंने आमजन से इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की अपील भी की है ताकि बच्चों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को रोका जा सके।
जोनल हॉस्पिटल मंडी के एमएस डॉ. डीएस वर्मा ने बताया कि जोनल हॉस्पिटल में स्थापित पालना केंद्र में 2018 से लेकर आज दिन तक 3 बच्चों को छोड़ा जा चुका है, जिन्हें बाद में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के हवाले कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बच्चे को छोड़ने वाले से किसी भी प्रकार की कोई पूछताछ नहीं की जाती। जहां पर पालना है वहां पर बच्चे को छोड़ने के बाद साथ लगी घंटी को दबाना होता है जिसके बाद विभाग के लोग वहां पर जाकर बच्चे को अपने अधीन लेकर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के हवाले कर देते हैं।
इस खबर के माध्यम से हमारा मकसद सिर्फ यही संदेश देना है कि किसी भी बच्चे को अपने माता-पिता के कृत्यों की वजह से मौत की नींद न सोना पड़े, जैसा कि अभी कुछ दिन पहले दो नवजात बच्चियों के साथ हुआ। यदि आप बच्चे को पाल नहीं सकते तो उसे मौत देने का हक भी नहीं रखते। किसी की जिंदगी छीनने का किसी को भी कोई अधिकार नहीं होता है।