शिमला, 20 सितंबर : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अगले तीन दशक पानी की किल्लत से पूरी तरह छुटकारा मिलेगा। शहरवासियों को वर्ष 2050 तक 24 घंटे पानी की आपूर्ति होगी।
दरअसल शिमला के पानी-सीवरेज सिस्टम के लिए 1825 करोड़ की परियोजना में विश्व बैंक ने 1168 करोड़ का फंड देने पर सहमति प्रदान कर दी है। फंड वितरण की प्रभावी तारीख एक जनवरी 2022 होगी और फंडिंग पांच साल के कार्यकाल के लिए होगी। शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव रजनीश शर्मा की अध्यक्षता में गठित कमेटी की विश्व बैंक के आर्थिक मामलों के विभाग के साथ हुई आखिरी दौर की बातचीत में विश्व बैंक ने समझौता पैकेज प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया।
1825 करोड़ की इस परियोजना में 657 करोड़ रूपये का वहन हिमाचल सरकार द्वारा किया जाएगा, जबकि शेष 1168 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता विश्व बैंक से मिलेगी।
बता दें कि शिमला जलापूर्ति और मल निकासी परियोजना का मकसद वर्ष 2050 तक पानी की मांग को पूरा करने के लिए सतलुज नदी से अतिरिक्त 67 एमएलडी के साथ शिमला जल आपूर्ति में संवर्द्धन, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण कुफरी, शोघी, घणाहट्टी और अतिरिक्त योजना क्षेत्र के लिए 2050 तक शिमला नगर निगम क्षेत्र में सभी घरेलू और व्यवसायी उपभोक्ताओं के लिए सप्ताह भर 24 घंटे जलापूर्ति और शिमला नगर निगम क्षेत्र में बेहतर मल निकासी सेवाएं प्रदान करना है।
इस परियोजना में शिमला जिले की सुन्नी तहसील के शकरोड़ी गांव के पास सतलुज नदी से पानी उठाने की योजना बनाई गई है। इसमें संजौली में 1.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठाने और 22 किलोमीटर की पाइप बिछाने से 67 एमएलडी पानी की वृद्धि शामिल है। इस परियोजना के अंतर्गत नगर निगम शिमला में वितरण पाइप नेटवर्क को सप्ताह भर 24 घंटे जलापूर्ति प्रणाली में स्तरोन्नत करने का भी प्रावधान है।
इसके अतिरिक्त, शिमला के मैहली, पंथाघाटी, टुटू और मशोबरा क्षेत्रों में मलनिकासी प्रणाली प्रदान की जाएगी। यह राज्य के लिए एक प्रमुख परियोजना होगी जो शिमला में बेहतर जलापूर्ति और मलनिकासी प्रणाली प्रदान करने का प्रयास करेगी और वर्ष 2050 तक शहर की आवश्यकताओं को पूरा करेगी।