शिमला, 19 सितम्बर : भारत-तिब्बत समन्वय संघ ने केंद्र सरकार से चीन के बीजिंग में 2022 में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करने की मांग की है। संघ के प्रांत अध्यक्ष बीआर कौंेडल ने शनिवार को प्रेस वार्ता में कहा कि चीन द्वारा मानवाधिकारों के हनन, तिब्बत में किए जा रहे अत्याचार, भारत की सीमा पर अतिक्रमण करने और पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से ग्रसित करने जैसे खौफनाक कारनामों को देखते हुए भारत को बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करना चाहिए और संघ इसके लिए भारत सरकार पर दबाव बनाएगा।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में चीन में विंटर ओलंपिक के बहिष्कार की मांग उठ रही है। दुनिया में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन भी चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे है।
उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत समन्वय संघ का मकसद तिब्बत और कैलाश मानसरोवर को चीन के चंगुल से आजाद करवाना है और इसके लिए संघ लोगों को जागरूक करेगा। उन्होंने कहा कि तिब्बत को आजादी मिलना भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैे। तिब्बत की समस्या को भारतवासी अपनी समस्या समझें, क्योंकि तिब्बत की आजादी हमारी अपनी सुरक्षा से जुड़ी है और लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा।
बी.आर.कौंडल ने कहा कि चीन हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता वाले तिब्बत के भौगोलिक भूभाग पर नाजायज कब्जा करके बैठा है और वहां पर नस्ल के आधार पर तिब्बती मूल के लोगों के नरसंहार में शामिल रहा हैे। 1962 के भारत-चीन युद्व में चीन ने भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन छीन ली थी, जिसमें हमारे आराध्य भगवान शिव का मूल स्थान कैलाश मानसरोवर भी शामिल है।
कौंडल ने कहा कि चीन का आर्थिक बहिष्कार करने की मांग उठाते हुए कहा कि सरकार व देश के उद्योगपति इस बात के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें कि चीन से किसी भी प्रकार का आयात न करके देश में ही विभिन्न वस्तुओं का निर्माण प्रारंभ किया जाए। देश के आम नागरिक संकल्प लें कि चीन में बने उत्पादों का मोह छोड़ कर स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करें। ऐसा करने से न केवल देश के उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी हासिल होगा।