शिमला, 17 सितंबर : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि पूरे हिमाचल का समग्र विकास हो रहा है और यहां सत्तासीन रही हर सरकार ने इस पहाड़ी प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तरक्की की इस रफ्तार के मद्देनजर आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश देश का सिरमौर बनेगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज शिमला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे।
हिमाचल प्रदेश की स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। इस सत्र में वर्तमान और पूर्व विधायकों, सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी के बाद राज्य विधान सभा को संबोधित करने वाले रामनाथ कोविंद तीसरे राष्ट्रपति बन गए हैं।
रामनाथ कोविंद ने 18 मिनट के अपने संबोधन में हिमाचल की विकास गाथा का उल्लेख करते हुए प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों और शहीद वीर सैनिकों को याद करते हुए उन्हें नमन किया। राष्ट्रपति ने कहा हिमाचल प्रदेश को वर्ष 1971 में पूर्ण राज्यत्व का दर्जा मिला और बीते 50 सालों में इस प्रदेश ने अनेक क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि सभी पूर्ववर्ती सरकारों का प्रदेश के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश को नई दिशा देने में पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉक्टर यशवंत सिंह परमार, ठाकुर रामलाल, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और वीरभद्र सिंह की अहम भूमिका रही है। वर्तमान सरकार प्रदेश को तरक्की की तरफ ले जा रही है और कई मापदंडों में हिमाचल प्रदेश अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार को वो साधुवाद देते हैं।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य को संजोये रखने के साथ-साथ विकास के क्षेत्र में निरंतर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के एक जिले का नाम सिरमौर है। मेरी शुभकामना है कि पूरा हिमाचल प्रदेश एक दिन विकास के पैमाने पर भारत का सिरमौर बने। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में जब देशवासी आजादी की शताब्दी मनायेंगे और हिमाचल प्रदेश अपनी स्थापना के 75 वर्ष सम्पन्न होने का समारोह मनाएगा, तब तक यह राज्य विश्व स्तरीय विकास और समृद्धि का आदर्श प्रस्तुत कर रहा होगा।
हिमाचल के सिरमौर का जिक्र करते हुए कहा कि यह हिमाचल का एक जिला है और मुझे आशा है कि हिमाचल विकास के पैमाने पर एक दिन भारत का सिरमौर बनेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2046 में जब हिमाचल अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा, उस वक्त यह प्रदेश देश का सिरमौर होगा।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों, शहीद वीर सैनिकों, पहाड़ी गांधी से विख्यात कांशी राम, भारत के पहले मतदाता श्याम शरण नेगी का उल्लेख करते हुए इनके कृतित्व एवं योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि ‘पहाड़ी गांधी’ के नाम से विख्यात, कांगड़ा के बाबा कांशीराम जैसे स्वाधीनता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया और अपने जीवन के अनेक वर्ष कारावास में बिताए। संविधान-सम्मत मार्ग पर चलते हुए डॉक्टर यशवंत सिंह परमार, पंडित पदम देव, शिवानंद रमौल तथा अन्य जन-सेवकों ने पहाड़ी क्षेत्रों के एकीकरण और हिमाचल प्रदेश की स्थापना के संघर्ष को आगे बढ़ाया था।
राष्ट्रपति ने हिमाचल विधानसभा के ऐतिहासिक भवन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ‘काउंसिल चैंबर भवन’ तथा परिसर, आधुनिक भारत की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी रहे हैं। इसी भवन में विट्ठल भाई पटेल ने सन 1925 में ब्रिटिश प्रत्याशी को हराकर सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। अध्यक्ष के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संसदीय मर्यादा और निष्पक्षता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो आज भी हमारी संसद और विधान सभाओं के लिए एक आदर्श है। हिमाचल प्रदेश विधान सभा में जसवंत राम से लेकर ठाकुर सेन नेगी सहित अध्यक्षों एवं प्रभावशाली विधायकों की समृद्ध परंपरा रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिमाचल की धरती उन्हें लगभग 45 वर्षों से आकर्षित करती रही है। वह पहली बार 1974 में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू-मनाली क्षेत्र में आए और उसके बाद कई बार इस प्रदेश में आना होता रहा है। सार्वजनिक-जीवन से जुड़े अनेक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भी हिमाचल प्रदेश आने का अवसर उन्हें मिलता रहा था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, लोगों की कर्मठता, सरलता व अतिथि सत्कार ने मेरे मानस-पटल पर गहरी छाप छोड़ी है। हिमाचल प्रदेश की प्रत्येक यात्रा, मुझ में एक नई स्फूर्ति का संचार करती है।