नाहन, 15 सितंबर : इंडियन टैक्नोमैक में अरबों रुपए के घोटाले ( multi crore Indian Technomac Scam ) की जांच को लेकर सीबीआई (CBI) की 7 सदस्यों की टीम के पांवटा साहिब पहुंचने की खबर है। हालांकि, आधिकारिक तौर (officially) पर कोई टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन जानकारों की मानें तो आबकारी व कराधान विभाग (Excise & Taxation Department) के पांवटा साहिब के ईटीओ (ETO) कार्यालय में सीबीआई ने सुबह 10 बजे के आसपास ही दबिश दे दी थी।
फैक्टरी परिसर के सर्च वारंट (Search Warrant) को भी सीबीआई की टीम साथ लेकर आई है। इंडियन टैक्नोमैक का घोटाला 20 मई 2014 को सामने आया था। इसके बाद से कानूनी पेचिदगियों (legal complications) में फंसा रहा। लेकिन इसी दौरान घोटाले की जांच सीबीआई व ईडी (CBI & ED)को भी दे दी गई। साथ ही तीसरी एजेंसी के तौर पर सूबे का एक्साइज महकमा भी इसमें शामिल है।
अगर इसमें इन्कम टैक्स व बैंकों की देनदारियों (Income tax and liabilities of banks) के अलावा हिमाचल की देनदारियों (Liabilities) को शामिल किया जाए तो ये घोटाला अब 6 हजार करोड़ के आसपास पहुंच चुका है। इसमें हिमाचल की हिस्सेदारी 2175 करोड़ के आसपास बनती है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई की टीम पांवटा कार्यालय के अलावा फैक्टरी परिसर (factory premises) का भी निरीक्षण कर सकती है। इसके अलावा नाहन कार्यालय से दस्तावेज (Documents) जुटाने की भी संभावना जताई जा रही है।
गौरतलब है कि अक्तूबर 2019 में इंटरपोल ने फैक्टरी के मालिक राकेश शर्मा की गिरफ्तारी को लेकर रैड काॅर्नर नोटिस (Red Corner Notice) भी जारी किया था। स्टेट सीआईडी (State CID) की सिफारिश को मानते हुए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संस्था (Interpol) ने राकेश शर्मा को लेकर रैड काॅर्नर नोटिस जारी कर दिया।
इस दौरान शर्मा की लोकेशन दुबई, लंदन, इंडोनेशिया, पेरु व दक्षिण अफ्रीका इत्यादि में भी पाई गई थी। ये जानकारी भी सामने आई थी कि वो चैक बाउंस मामले में दुबई की जेल में बंद है।
हिमाचल की ढिलाई….
हालांकि, इंडियन टैक्नोमैक पर मौजूदा समय में हिमाचल की करीब 2175 करोड़ की देनदारी है, लेकिन ये साफ है कि इतनी रिकवरी संभव ही नहीं है। सूत्रों की मानें तो फैक्टरी परिसर, भूमि व मशीनरी इत्यादि की ताजा कीमत 303 करोड़ आंकी गई है। यानि, अगर हिमाचल इसे बेचता है तो 15 प्रतिशत के आसपास रिकवरी हो सकती है। बशर्ते तेजतर्रार तरीके से इस कार्य को अंजाम दिया जाए।
वहीं, सूत्रों का ये भी कहना है कि फैक्टरी की लगभग 275 बीघा भूमि भी है। इसके अलावा 132 केवी सब स्टेशन भी है। अहम बात ये है कि फैक्टरी परिसर से समय-समय पर स्क्रैप (Scrap) चोरी की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। लिहाजा, समय पर ही नीलामी राज्य के लिए फायदेमंद हो सकती थी। हाईकोर्ट से नीलामी (Auction) का कार्यक्रम तय करवाना है, लेकिन विभाग इसमें भी ढिलाई बरत रहा है। दो साल से मामला अटका हुआ है। अगर इसकी नीलामी दो साल पहले कर दी जाती तो करोड़ों रुपए के ब्याज (Interest) का नुकसान भी नहीं उठाना पड़ता। सूत्रों का ये भी कहना है कि अगर विभाग नीलामी के जरिए अरबों रुपए की रिकवरी कर लेता है तो यह देश भर में एक चमत्कार (Miracle) से कम नहीं होगा, साथ ही एक रिकाॅर्ड भी कायम हो जाएगा।
ये बोले अधिकारी…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सीबीआई की दबिश को लेकर आबकारी व कराधान विभाग के दो अधिकारियों से बात की। दक्षिणी क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त (प्रवर्तन) जीडी ठाकुर ने कहा कि सीबीआई की टीम के पहुंचने की जानकारी मिली है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इंडियन टैक्नोमैक की संपत्ति (Assets of Indian Technomac) के मूल्यांकन (Valuation) की जानकारी शीर्ष अधिकारियों को दी गई है। नीलामी का कार्यक्रम उच्च न्यायालय (High Court) से ही तय होना है।
एक प्रश्न के जवाब में ठाकुर ने ये भी कहा कि आयकर व बैंकों में सबसे पहले देनदारी लेने का हकदार हिमाचल ही है। उधर, सिरमौर में विभाग के सहायक आयुक्त (assistant Commissioner) प्रीत पाल सिंह ने कहा कि सीबीआई के पहुंचने की जानकारी मिली है। उनका कहना था कि टीम सर्च वारंट लेकर आई है। इससे अधिक जानकारी उनके पास नहीं हैै।