शिमला, 13 सितंबर : तो क्या, हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री को बदल सकता है। ये अटकलें तेज हैं। विपक्ष ने तो यहां तक कह दिया है कि गुजरात की तरह हिमाचल में भी सीएम बदला जा सकता है। करीब-करीब चार साल के कार्यकाल में हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की छवि बेदाग रही है, लेकिन अफसरशाही पर कमजोर कमांड को लेकर अक्सर निशाने पर रहे हैं। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड का घटनाक्रम भी सबके सामने है।
गुजरात की खबर तो मुख्यमंत्री बदलने की बजाय इस कारण अधिक चर्चा में है, क्योंकि वहां भाजपा ने पहली बार चुनाव जीते विधायक को सीधे ही मुख्यमंत्री बना दिया है। सोमवार को एक समाचार पत्र की रिपोर्ट को मानें तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दोबारा दिल्ली जाना है। हालांकि, इसके पीछे मंत्रिमंडल में बदलाव की बात कही गई है, लेकिन विपक्ष को गुजरात के बाद बैठे बिठाए सत्तारूढ़ दल को निशाने पर लेने का मौका मिल गया है। सोशल मीडिया में सीएम बदलने को लेकर खासी चर्चा है। यहां तक भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने 6 महीने के भीतर चार राज्यों के मुख्यमंत्री बदले हैं, अब अगला नंबर हिमाचल का है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस यदुरप्पा ने 26 जुलाई 2021 को इस्तीफा दिया था। उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा पार्टी ने 2 जुलाई 2021 को लिया। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया था। गौरतलब है कि भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को हटाकर त्रिवेंद्र सिंह रावत को मार्च में उत्तराखंड की कमान सौंपी थी, लेकिन उन्हें भी बदल कर धामी को कमान सौंपी गई। उधर, असम में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बाद पांच साल के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा शर्मा को कमान सौंप दी थी। यानि, अगर 6 महीनों की बात की जाए तो चार राज्यों में पांच सीएम बदले गए हैं।
खास बात यह है कि बीजेपी उन राज्यों में सीएम बदल रही है, जहां एक साल के भीतर चुनाव होने हैं। सवाल ये उठता है कि क्या नेतृत्व में बदलाव से भाजपा विजय अभियान को आगे ले जाने की तैयारी कर रही है। ये काफी हद तक तय है कि अब मोदी लहर की बजाय, संबंधित राज्य में सीएम के चेहरे पर चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है। गौरतलब है कि पिछले तीन महीने के भीतर भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री बदले हैं।
चूंकि हिमाचल में भी 2022 के अंत में चुनाव होने हैं, लिहाजा अटकलें तेज हैं। एक चर्चा ये भी है कि अगर सीएम नहीं बदले जाते तो मंत्रिमंडल में बदलाव की संभावना है। इसमें मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड देखकर पार्टी आलाकमान फैसला ले सकता है। ये भी साफ है कि हिमाचल के इतिहास में सरकार रिपीट नहीं होती है। लिहाजा, ये इतिहास सीएम को बदल कर बदलने की कोशिश की जा सकती है। वैसे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ प्रधानमंत्री से भी घनिष्ठ संबंध हैं।
एक क्यास ये भी है कि भाजपा अगर सीएम बदलती है तो उस चेहरे को कमान सौंपी जाएगी, जिसे वो 2022 में पार्टी कैंडीडेट के रूप में प्रोजैक्ट करेगी। उल्लेखनीय है कि 2017 में भाजपा इस कारण कांग्रेस के निशाने पर थी, क्योंकि पार्टी के सीएम कैंडीडेट को लेकर भी कोई फैसला नहीं ले पाई थी। आखिर में पार्टी के कद्दावर नेता अमित शाह को सिरमौर के राजगढ़ की जनसभा में प्रेम कुमार धूमल को पार्टी का सीएम कैंडीडेट घोषित करना पड़ा था।