नाहन, 13 सितंबर : हाल ही में शिक्षक दिवस के मौके पर सरकार के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया। मगर शिक्षा के क्षेत्र में सिरमौर से जुड़े युवा केंद्रीय विद्यालय संगठन (Kendriya Vidyalaya Sangathan) में देश के कई हिस्सों में अपनी बेहतरीन सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अपने ही घर में उन्हें पहचान नहीं मिलती है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को केंद्रीय विद्यालयों (central school) में शिक्षा प्रदान कर रहे 14 युवाओं की जानकारी हासिल हुई है। भारत में केंद्रीय विद्यालय प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा का प्रबंधन है। इन विद्यालयों की चार विशेषताएं हैं। केंद्रीय सरकार के अधीन कर्मचारियों व अर्द्धसैनिक बलों (personnel and paramilitary forces) के बच्चों को समूचे देश में एक समान शिक्षा प्रदान करना लक्ष्य है, ताकि स्थानांतरित कर्मचारियों को बच्चों की शिक्षा के लिए किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग व नवाचार शामिल हैं। बच्चों में राष्ट्रीय एकता व भारतीयता की भावना को विकसित करना भी मकसद है। भारत में केंद्रीय विद्यालयों की शुरुआत 1963 में हुई थी। देश के अलावा विदेशों में भी तीन सैंट्रल स्कूल हैं, ताकि भारतीय दूतावास के कर्मचारियों व प्रवासी भारतीयों के बच्चों को भी शिक्षा प्रदान की जा सके।
अंबिका ठाकुर : नाहन डीएवी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने वाली अंबिका इस समय केंद्रीय विद्यालय योल छावनी में सेवाएं प्रदान कर रही है। राजकीय महाविद्यालय नाहन से ही अपनी ग्रैजुएशन को पूरा किया है।
दिव्या मित्तल : स्कूली शिक्षा कारमल काॅन्वेंट स्कूल नाहन से प्राप्त की। नाहन डाईट से जेबीटी की शिक्षा ग्रहण की है। इसके अलावा राजकीय महाविद्यालय से ग्रैजुएशन करने के बाद कालाअंब से बी एड की पढ़ाई की है। 2018 में पहली पोस्टिंग केंद्रीय विद्यालय बरकस हैदराबाद में हुई थी। वर्तमान में जोधपुर के वायुसेना के केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत है।
इन्दू ठाकुर : ग्रामीण परिवेश में जन्मी इन्दू ने दसवीं की शिक्षा कोडगा स्कूल से प्राप्त की है। नाहन में स्नातक की पढ़ाई करने के बाद अर्थशास्त्र में पीजी की डिग्री प्राप्त की है। हिमाचल विश्वविद्यालय से बी एड करने के बाद उनका चयन केंद्रीय विद्यालय के लिए हुआ। एएससी सैंटर बैंगलोर में तैनात हैं।
अरुण कुमार भृगु : केंद्रीय विद्यालय राजपूत रेजीमेंट सैंटर फतेहगढ़ में नवंबर 2017 से कार्यरत हैं। नौहराधार के समीपवर्ती गांव लानाचेता के रहने वाले अरुण कुमार की प्रारंभिक शिक्षा शमोगा में हुई है। छठी से 12वीं तक की पढ़ाई जेएनयू में की। राजनीतिक व समाजशास्त्र में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से डिग्री हासिल की हैै।
बिलम शर्मा : मौजूदा में बिलम शर्मा पश्चिम बंगाल के हासी मारा स्थित केंद्रीय विद्यालय में तैनात हैं। रोहनाट के रहने वाले बिलम शर्मा ने अपनी शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र में ही प्राप्त की। बोराड़ में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वरिष्ठ माध्यमिक पढ़ाई नाहन के शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला से प्राप्त की है।
मनीषा : वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय वारंगल में तैनात हैं। प्राथमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत मनीषा की पढ़ाई नाहन के गल्र्स सीनियर सैकेंडरी स्कूल में हुई है। इसके बाद राजकीय महाविद्यालय से ग्रैजुएशन पूरी की है।
परीक्षा देवी : श्री रेणुका जी के खालाक्यार की रहने वाली परीक्षा ने छठी से 12वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय से की है। वो इस समय मध्य प्रदेश के सिंगरोली केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा प्रदान कर रही हैं। अक्तूबर 2017 से प्राथमिक शिक्षिका के पद पर कार्यरत परीक्षा इग्नू से स्नातकोत्तर की पढ़ाई इतिहास विषय में कर रही है।
मनोज चौहान : वर्तमान में कर्नाटक के केंद्रीय विद्यालय एनएमडीसी दोणिमलै में तैनात हैं। अक्तूबर 2017 से इस पद पर सेवारत हैं। मूलतः हरिपुरधार के भवाई के रहने वाले मनोज चौहान की प्राथमिक शिक्षा भवाई में ही हुुई है। नौवीं से 12वीं तक जवाहर नवोदय विद्यालय से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद सोलन से बीएससी की डिग्री हासिल की है। बीएड के अलावा बाॅटनी में एमएससी की डिग्री भी प्राप्त की हुई है।
ललिता : इस समय लंका बैंगलोर के केंद्रीय विद्यालय में सेवारत हैं। अपनी शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की है। जेबीटी डाईट से डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद इग्नू से स्नातक की है।
अमनदीप : राजगढ़ क्षेत्र के रहने वाले अमनदीप ने सोलन डाईट से जेबीटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद बंगलुरू संभाग में केंद्रीय विद्यालय कारवार में शिक्षा प्रदान करने का सिलसिला शुरू किया। वो 2017 बैच के पीआरटी हैं।
जितेंद्र कुमार : हिमाचल प्रदेश में आईटीबीपी के सराहन स्थित केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत हैं। मूलतः राजगढ़ के द्राबला के रहने वाले हैं। ग्रामीण परिवेश से ही अपनी पढ़ाई को पूरा किया है। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की पढ़ाई सनोरा से पूरी की है।
डाॅ. राजेश चौहान : मूलतः नौहराधार के बांदल गांव के रहने वाले हैं। अपनी पढ़ाई हिमाचल की राजधानी शिमला से पूरी करने के बाद म्यूजिक विषय में पीएचडी भी की है। वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय, गोरखा ट्रेनिंग सैंटर सुबाथू में संगीत शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
रबिका चौहान : बिहार के गया के केंद्रीय विद्यालय में 2017 से तैनात हैं। राजगढ़ व नौहराधार के समीप कंडा गांव की रहने वाली रबिका ने देवना थनगा से प्राथमिक पढ़ाई पूरी की। इसके बाद जवाहर नवोदय विद्यालय से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। सोलन से जेबीटी की ट्रेनिंग भी की है। साथ ही बीएससी की पढ़ाई करने के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से बीएड की शिक्षा ग्रहण की है।
अशोक चौधरी : केंद्रीय विद्यालय में भूगोल की पीजीटी पद पर तैनात हैं। स्नातक की शिक्षा पांवटा साहिब से प्राप्त की है। इसके बाद स्नातकोत्तर शिक्षा ऋषिकेश से प्राप्त की है। मूलतः पांवटा साहिब के फूलपुर के रहने वाले हैं।