नाहन, 11 सितम्बर: अगर महिलाओं की प्रसूति के दौरान ऑपरेशन थिएटर में एयर कंडीशनर (वातानुकूलन संयंत्र) न चल रहे हो तो स्टाफ के साथ-साथ गर्भवती महिला की हालत क्या होगी। इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो सकता है। इस सवाल का जवाब बखूबी नाहन मेडिकल कॉलेज का स्टाफ दे सकता है या फिर आप थिएटर के भीतर मौजूद रहकर हासिल कर सकते हैं।
मेडिकल कॉलेज की हालत ऐसी है कि लंबे अरसे से प्रसूति के दोनों ऑपरेशन थिएटर में एयर कंडीशनर नहीं चल रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन चुप्पी साधे बैठा हुआ है। एक मोटी जानकारी के मुताबिक इन दोनों ऑपरेशन थिएटर में औसतन 8 से 10 डिलीवरी रोजाना होती है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालत क्या होगी। सवाल इस बात पर भी उठाया जा रहा है कि जब अस्पताल के शीर्ष अधिकारियों के एसी खराब होते हैं तो अगले 2 घंटे में ही दुरुस्त कर लिए जाते हैं। लेकिन उस स्टाफ का क्या जो धरातल पर स्वास्थ्य सेवाओं को आम जनमानस तक पहुंचा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि ऑपरेशन थिएटर से जुड़े स्टाफ में कई मर्तबा अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक को इस बारे सूचित किया है लेकिन कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रहे हैं। गौरतलब है कि अक्सर ही मेडिकल कॉलेज विवादों में रहता है। याद दिला दें कि कोविड संकट के दौरान मेडिकल अधीक्षक ने वेंटिलेटर शुरू करने को लेकर बड़ा सफेद झूठ बोला था। मीडिया को अपने बयान में कहा था कि वेंटिलेटर शुरू हो चुके हैं, लेकिन धरातल पर एक भी वेंटिलेटर शुरू नहीं हुए थे।
नाहन मेडिकल काॅलेज का सफेद झूठ आया सामने, नहीं लगे वेंटिलेटर, मीडिया को किया गुमराह
खास बात ये भी है कि सरकार ने अब तक भी झूठ बोलने वाले अधिकारियों को मेडिकल कॉलेज में बिठा रखा है। दीगर है कि मेडिकल कॉलेज के अधिकतर सीसी कैमरे भी आउट ऑफ़ आर्डर है। बड़ी बात यह भी है कि मेडिकल कॉलेज की सुध लेने वाला कोई नहीं है। तेजतर्रार अधिकारियों की बजाय ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है जो झूठ बोल रहे हो। इस बात को भी ख़ारिज नहीं किया जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज में सबसे अधिक दबाव गायनी ओपीडी व वार्ड पर है। पुरे सिरमौर से केस रैफर होते है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का पक्ष मिलने पर प्रकाशित किया जायेगा।