शिमला, 10 सितम्बर : भारत में राष्ट्रमंडल पेंसिल्वेनिया की विशेष प्रतिनिधि व फिलेडेल्फिया की मानद राजदूत कनिका चौधरी शुक्रवार को शिमला के पॉटर हिल्स स्थित जापन इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जायका) मुख्यालय का दौरा किया। बता दें कि कान्वेंट आफ जीसस एंड मैरी (चेल्सी) स्कूल शिमला की छात्रा रही हैं। आजकल वह शिमला के भ्रमण पर है।
जायका मुख्यालय के दोैरे के दोैरान मुख्य परियोजना निदेशक (जेआईसीए वानिकी परियोजना) के साथ बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि वह पेंसिल्वेनिया के राष्ट्रमंडल का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जिसका उद्देश्य उन अवसरों का पता लगाना है जो पेंसिल्वेनिया और भारत के राष्ट्रमंडल के बीच आपसी और रणनीतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं। इस अवसर अतिरिक्त मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना अधिकारी जायका नागेश गुलेरिया ने प्रदेश में चल रही जायका फोरस्टी परियोजना की गतिविधियों से अवगत करवाया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों में 7 वन मंडलों, 18 मंडलों और 61 रेंजों में 800 करोड़ की जायका वानिकी परियोजना लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन योजना/सामुदायिक जैव विविधता प्रबंधन योजनाएं सभी हितधारकों को लोकतांत्रिक तरीके से विधिवत रूप से शामिल करके भागीदारी मोड में तैयार की जा रही हैं। गुलेरिया ने कहा कि आजीविका घटक के तहत 382 एसएचजी/ सीआईजी का गठन किया गया है, जिनमें से 345 महिला संचालित समूह हैं, और वे 15 आय सृजन मॉडल की 80 व्यावसायिक योजनाओं पर काम कर रहे हैं।
मुख्य परियोजना निदेशक ने कनिका चौधरी को अवगत कराया कि प्रदेश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले सीबकथोर्न (छर्मा) की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि जायका वानिकी परियोजना के तहत लाहौल और स्पीति के वन्य क्षेत्रों में आगामी वर्ष एक लाख छर्मा के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस मौके पर राजदूत कनिका चैधरी ने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता की सराहना की और छर्मा से तैयार किए गए प्रचार रणनीतियों, औषधीय गुणों और विभिन्न उत्पादों के बारे में जानने के लिए गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने जायका कार्यालय परिसर में एक चिनार (प्लैटैनस ओरिएंटलिस) का पौधा भी रोपा।