शिमला, 11 सितंबर : हिमाचल के ट्राइबल इलाके किन्नौर की बेटी वर्तिका बिष्ट का डंका विदेशी धरती पर बज रहा है। क़ाबलियत की वजह से वर्तिका का चयन पीएचडी के लिए ‘मैरी क्यूरी फैलोशिप’ (Marie Curie Fellowship ) के लिए हुआ है। शायद, ये फ़ेलोशिप लेने वाली वर्तिका पहली हिमाचली युवती हो। 2015 में प्रौद्योगिकी स्नातक करने के लिए गणित और कंप्यूटिंग विभाग में आईआईटी दिल्ली में दाखिला मिला था। बता दे कि इस फ़ेलोशिप के आधार पर वो नीदरलैंड में जैव सूचनाविद् के क्षेत्र में पीएच.डी (P.h.D. as a Bioinformatic) कर रही है।
स्नातक करने के बाद, वो अपने कौशल का उपयोग किसी ऐसे स्थान पर करना चाहती थी, जिससे लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा सके। लिहाजा 2019 सितंबर में जीव विज्ञान के क्षेत्र में सूचना विज्ञान के उपयोग पर एक प्रमुख शुरुआत करने के लिए जैव सूचना विज्ञान बर्मिंघम विश्वविद्यालय, यूके (University of Birmingham, UK) से मास्टर डिग्री करने का फैसला किया।
2020 में वर्तिका के परीक्षण का समय था। क्योंकि कोविड से विश्व भर में महामारी का संकट पैदा हो गया। बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए देशव्यापी तालाबंदी लागू हो गई थी, जिसके कारण सभी ने घर से काम करना शुरू कर दिया। इस स्थिति का वर्तिका को भी सामना करना पड़ा, क्योंकि वो विदेशी में थी और मास्टर की पढ़ाई पूरी करनी थी। प्रोफेसरों और पर्यवेक्षकों ने वर्तिका को मार्गदर्शन कर उसे सौ फीसदी प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। लिहाजा वर्तिका अपने मास्टर्स करने के साथ यूकेसी एमपी (यूके कोरोना वायरस कैंसर मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट) के कैंसर रोगियों पर कोविड अनुसंधान में भी शामिल हो गई। 2020 के अंत तक वर्तिका के लेखक के रूप में कई पत्र प्रकाशित हो गए।
किन्नौर के तांदा गांव की रहने वाली वर्तिका ने 10वीं की पढ़ाई सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 26, चंडीगढ़ से की है। स्कूल में शिक्षकों ने उसके प्रयासों की सराहना की और क्रांतिकारी सोच को प्रोत्साहित किया।
एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में वर्तिका ने कहा कि शिक्षा के दौरान शिक्षकों और माता-पिता ने 11वीं और 12वीं में गैर-चिकित्सा विज्ञान में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। वर्तिका ने कहा कि इस समय वो पीएचडी के साथ प्रोजेक्ट के एक हिस्से के रूप में एम्स्टर्डम में एक बायोटेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप में पूर्णकालिक जैव सूचना विद् के रूप में कार्य कर रही है।
सितंबर 2021 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में समर स्कूल में एक शोध की प्रस्तुति देगी। इसके बाद एन्हांस रोपैथियों में भी प्रस्तुति होनी है। वर्तिका ने बताया कि शोध के अलावा, नई भाषाएं व और संस्कृतियां सीखने में मज़ा आता है। जापानी साहित्य और मीडिया के प्रति लगाव रखती है। साथ ही पेंटिंग, पियानो, कढ़ाई, लघु मॉडल बनाने और किताबें पढ़ने में भी खासी रुचि हैं। इसके अलावा कुत्तों को टहलाना, बच्चों को पढ़ाना या बुजुर्गों की देखभाल में मदद करना भी जीवन शैली का हिस्सा है। जहां तक खेलों का सवाल है, वर्तिका को तलवारबाजी व तैराकी का हमेशा से शौक रहा है।
वर्तिका ने एमबीएम को ये भी बताया, “मैं जो कुछ भी हूं उन लोगों की वजह से हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया। जीवन की अब तक की यात्रा में मुझे जो समर्थन मिला है, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मेरे माता-पिता, शिक्षक, मित्र और सहकर्मी मेरी सफलता का एक बड़ा हिस्सा हैं। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मैं उन प्रेरक व्यक्तियों से घिरी हूं, जिन्होंने मुझे परोपकार और दृढ़ता जैसे गुणों को आत्मसात करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि माता-पिता के साथ चाचू डॉ. पी.सी. नेगी लगातार प्रेरणा के स्रोत रहे हैं।
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