सोलन, 10 सितंबर : हिमाचल में मशरूम सिटी ऑफ इंडिया शुक्रवार को 24 बरस की हो गई है। कम समय में मशरूम से जुड़े शोध कार्यों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। एक साल में दो-तीन ऐसे मौके आ जाते हैं, जब शहर मशरूम के शोध को लेकर चर्चा में आता है। सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सोलन शहर को 10 सितंबर 1997 को मशरूम सिटी का दर्जा दिया था। हालांकि राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र इसी शहर में 1983 में वजूद में आ गया था, मगर 14 साल बाद इस शहर को मशरूम सिटी का दर्जा मिला तो राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई।
हर साल इस दिन राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन होता है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सोलन की मशरूम के कायल हैं। कई बार सार्वजनिक संबोधन में इसका जिक्र भी करते हैं। चंबाघाट स्थित खुम्ब अनुसंधान केंद्र में वर्चुअल प्रणाली से शुक्रवार को भी राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन किया गया। देश भर के एक हजार किसानों को वर्चुअल तरीके से मशरूम के शोध से जुड़ी नवीनतम जानकारियां वैज्ञानिकों ने प्रदान की। 24 साल से लगातार इस दिन नवीनतम जानकारियों को किसानों से साझा किया जाता है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में खुम्ब अनुसंधान केंद्र चंबाघाट के निदेशक डाॅ. वीपी शर्मा ने बताया कि 1997 से लगातार इस दिन नवीनतम जानकारियों को राष्ट्रीय स्तर पर साझा किया जाता है। अनुसंधान केंद्र का औपचारिक उदघाटन 21 जून 1987 को देश के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गुरदयाल सिंह ढिल्लो ने किया था। 26 दिसंबर 2008 को इस केंद्र को निदेशालय का दर्जा हासिल हुआ। 37 साल पहले सोलन में मशरूम से जुड़े शोध को शुरू किया गया था। धीरे-धीरे किसानों ने न केवल मशरूम की खेती को अपनाया, बल्कि स्वावलंबन को भी एक नई दिशा मिली थी।
सोलन के बाद पड़ोसी जिलों में भी शोध का काफी फायदा पहुंचा। निजी क्षेत्र में भी मशरूम उत्पादन पर पूंजी निवेश किया गया है। चंद माह पहले दुनिया की सबसे महंगी सब्जी गुच्छी को भी इसी केंद्र ने कृत्रिम तरीके से उगाने में सफलता हासिल की थी। जिस दिन ये खोज भी किसानों तक पहुंचेगी, उस दिन किसानों की आर्थिकी में निश्चित तौर पर बड़े बदलाव आ सकते हैं।