आशीष शर्मा/कांगड़ा
लॉकडाउन ने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया, लेकिन कुछ युवा वर्ग ऐसा भी है जिन्होंने इस समय घर बैठे कुछ ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसका डंका पूरे देश में बजा है। कई युवाओं ने अपनी प्रतिभा के दम पर न केवल कि देश का मान बढ़ाया है बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया।
हिमाचल के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के युवक ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश से एकमात्र प्रतिभागी इनोवेटर प्रभात ठाकुर ने फाइनल में जगह बना ली है। इस प्रतियोगिता में देश भर से करीब 6000 कंपनियों ने भाग लिया था। इसमें प्रभात ठाकुर ने टॉप 30 में जगह बना ली है।
प्रभात ठाकुर ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है जो बिना रिमोट के भी चल सकता है। यह ड्रोन गूगल मैप की मदद से स्थान का पता लगाकर वहां दवाइयां या जरूरी सामान पहुंचा सकेगा। प्रभात ठाकुर ने 100 फीसदी ऑटोमेटिक फीचर वाला स्वदेशी ड्रोन तैयार किया है। यह ड्रोन पहाड़ी राज्यों के दुर्गम क्षेत्रों में मददगार होगा। अगर बीच रास्ते में ड्रोन की बैटरी खत्म होने लगेगी या फिर सिगनल टूट जाने का खतरा होगा, तो यह जहां से उड़ान भरी थी, वहां खुद सुरक्षित वापस आ जाएगा।
तकनीकी क्षेत्र में प्रभात ने पूरे हिमाचल को गौरवान्वित किया है। इसके लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें चार लाख रुपये बतौर इनाम दिए गए हैं। अब उनका लक्ष्य टॉप टेन में जगह बनाकर भारत को स्वदेशी और आत्मनिर्भर ड्रोन देना है। इसके लिए अंतिम चरण में तीन महीनों में अगले चरण का मुकाबला होगा।
प्रभात ठाकुर ने बताया कि अब तक भारत विदेशों के बने ड्रोन पर ही निर्भर रहा है। इससे देश की गोपनीयता को हमेशा खतरा रहा है। केंद्र सरकार, आईआईटी मद्रास के द्वारा निर्मित ‘शक्ति’ सॉफ्टवेयर पर ओपन सोर्स पर आधारित ड्रोन बनाने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि काफी समय से इस क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देख रहे हैं।