शिमला, 24 अगस्त : तकदीर का खेल देखिए, 26 साल बाद ट्रक ड्राइवर महाराष्ट्र से लौटकर घर आया था। यहां उसे पता चला कि बेटे विनोद की दोनों किडनियां खराब हैं। पत्नी, बेटे के इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है। वापस लौटने के बाद बेटे की तिमारदारी में मशगूल हो गया। आईजीएमसी में बेटा डायलिसिस पर था।
विनोद की माता कमलेश दो साल से शिमला में ही किराए का मकान लेकर रह रही थी। सोमवार को वो पल आए, जब पिता द्वारा दान की गई किडनी से विनोद को नया जीवन मिल गया। शायद तकदीर का यही खेल था कि पिता वापस लौटेगा और अपने बेटे को जीवन दान देगा। उल्लेखनीय है कि विनोद की मां चंबा के उपायुक्त कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। हालांकि मां कमलेश ने भी विनोद को किडनी देने की पेशकश की थी, लेकिन किडनी का मिलान नहीं हुआ।
छोटी बहन की किडनी का मिलान हो गया था, मगर इसी बीच पिता शंकर ने भी किडनी की पेशकश कर दी। सोमवार को दिल्ली से आए विशेषज्ञों की टीम ने आईजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट कर दिया। ट्रांसप्लांट के बाद विनोद की हालत स्थिर हैं। फिलहाल उसे आईजीएमसी में विशेषज्ञों की निगरानी में रखा गया है। उल्लेखनीय है कि किडनी ट्रांसप्लांट से पहले दिल्ली से आई टीम ने विनोद का जमकर हौंसला बढाया था। दीगर है कि आईजीएमसी में सोमवार को किडनी ट्रांसप्लांट की दो सफल सर्जरी की गई थी।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से फोन पर बातचीत में कमलेश ने बताया कि 26 साल से उनके पति घर नहीं आ रहे थे। पालमपुर के रहने वाले एक ट्रक ड्राइवर से उनका फोन नंबर मिला, तब कहीं जाकर बमुश्किल संपर्क हुआ। कमलेश ने बताया कि पति को विनोद की बीमारी के बारे में बताया गया तो वो दो साल पहले घर लौट आए थे। तब से वो ही विनोद की देखभाल में लगे हुए थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय टीम ने आईजीएमसी के विशेषज्ञों की मौजूदगी में लगभग 5 घंटे में पहला किडनी ट्रांसप्लांट विनोद का किया। कुल मिलाकर तकदीर का ही खेल है कि जो शख्स 26 साल से घर नहीं आ रहा था, वो न केवल वापस आया, बल्कि अपने लाल को नया जीवन दे दिया। इससे ये भी साबित होता है कि खून के रिश्ते चाहकर भी नहीं टूट सकते हैं।