शिमला , 23 अगस्त : शहरी दिनचर्या की देन मानी जाने वाली हाइपरटेंशन (ब्लड प्रेशर) बीमारी पहाड़ी राज्य (Hill State) हिमाचल की बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 45 साल पार कर चुके 54.1 फीसदी लोग हाइपरटेंशन(Hypertension) की गिरफ्त में हैं। ये लोग उच्च रक्तचाप( Blood Pressure) से परेशान हैं। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट (Medicine department) और ग्रिड काउंसिल ने देश व प्रदेश के वयस्कों के स्वास्थ्य (Health) पर किए गए एक सर्वे (Survey) के बाद जारी अपनी रिपोर्ट (Report) में इस बात का खुलासा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार 54 फीसदी व्यस्कों को हारपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप है, जबकि 42.1 फीसदी लोगों को इसके शुरूआती लक्षण (प्रीहाईपरटेंशन) हैं। ये आंकड़े राष्टीय ओैसत से भी अधिक हैं। हाइपरटेंशन से ग्रसित वयस्कों की राष्ट्रीय औसत 44.9 फीसदी और प्री हाइपरटेंशन की राष्ट्रीय औसत 39.7 फीसदी है। देश के कई राज्यों की हाइपरटेंशन की औसत हिमाचल से कम हैै। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हाइपरटेंशन से ग्रसित वयस्कों की प्रतिशतता हिमाचल से कम है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत (North India) में हाइपरटेंशन से ग्रसित लोगों के मामले में हिमाचल प्रदेश पंजाब (Punjab) के बाद दूसरे स्थान पर है। पंजाब में 60 फीसदी व्यस्क हाइपरटेंशन की चपेट में हैं। जबकि जम्मू-कश्मीर में ये आंकड़ा 50.1 फीसदी, हरियाणा में 52 फीसदी ओैर दिल्ली में 50.7 फीसदी हैं।
ग्रिड काउंलिस के कार्यकारी निदेशक आर्किसमान महापात्रा का कहना है कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में लोगों की जीवनशैली(Life Style) काफी गतिशील व स्फूर्तिमान है, ऐसे में हाईपरटेंशन के ये आंकड़े निश्चित तोैर पर चोैंकाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यहां के बाशिंदों को हाइपरटेंशन बढ़ाने वाले कारकों( Cause) पर ध्यान देने की जरूरत है। लोगों को डाइट संतुलित (Balance Diet) रखनी चाहिए, वहीं धूम्रपान (Smoking) और अल्कोहल के सेवन को कम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खतरनाक बात यह है कि हिमाचल में प्री-हाईपरटेंशन (Pre hyper tension) की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और अगर इससे निपटने की दिशा में कार्य नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हिमाचल स्वास्थ्य संकट (Health Crisis) की तरफ बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के निराकरण के लिए राज्य में प्राथमिक स्तर (Primary Level) पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जाना चाहिए। पीएचसी और सब सेंटर लेबल पर पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए। इसके अलावा 30 साल से अधिक आयु वाले लोगों को अपने रक्तचाप (Blood Presurer) को लेकर जागरूक (Aware होना चाहिए।