रिकांगपिओ, 13 अगस्त : निगुलसरी हादसे को शुक्रवार की शाम 7 बजे 55 घंटे हो गए। अपनों की तलाश करते-करते आंखें पथरा गई, मगर पत्थरों को रहम नहीं आया। 55 घंटे बाद मृतकों का आंकड़ा 17 दर्ज हुआ है। हाइवे किनारे बैठे लोग इस उम्मीद में हैं कि कोई चमत्कार हो जाए।
ये अलग बात है कि तेजी से आगे बढ़ते समय में किसी के जीवित होने की संभावना तो शून्य हो गई है। मलबे में दबे व्यक्तियों की खोज तीसरे दिन भी जारी रही। पत्थर व मिट्टी में दबे लोगों को तलाशन के लिए एक्सकवेटर को भी लगाया गया, ताकि भारी पत्थरों को हटाकर मिट्टी में दबे लोगों को ढूंढा जा सके।
सुबह 4 बजे शुरू हुए सर्च ऑपरेशन में शाम के वक्त हर किसी की सांसें उस वक्त अटक गई थी, जब ठीक उसी जगह लैंड स्लाइड की वजह से एचआरटीसी की बस पत्थरों की चपेट में आने से बाल-बाल बच गई। टूटते पहाड़ों के बीच जीवन की उम्मीद धूमिल हो गई है। शायद अगर पहले नीचे की तरफ से सर्च ऑपरेशन चलाया जाता तो कोई अनमोल जीवन सुरक्षित भी बच सकता था।
ये भी बताया जा रहा है कि शुक्रवार को मलबे में दबा एक शव दिखाई दे गया था, लेकिन पहाड़ से लगातार पत्थर गिरने के चलते इसे निकाला नहीं जा सका। उल्लेखनीय है कि वीरवार को ये बात भी सामने आई थी कि वाहनों की पासिंग को लेकर चालकों के बीच कहासुनी हुई थी, इसी कारण कुछ अन्य वाहन भी वहां रुक गए थे।
तीन सप्ताह में 26 की मौत…
किन्नौर लैंड स्लाइड के पार्ट-1 में 9 पर्यटकों की मौत हुई थी। महज तीन सप्ताह के भीतर भूस्खलन के कारण इस जिला में मरने वालों का आंकड़ा 26 हो गया है। बार-बार यही बात सामने उभर कर आ रही है कि आखिर क्यों पहाड़ों का सीना छलनी कर विकास की गाथा का तर्क दिया जा रहा है। बीते वर्षों में पर्यटकों का सैलाब भी उमड़ने लगा है। विद्युत परियोजनाओं के साथ-साथ फोरलेन से भी पहाड़ रुष्ट हो रहे हैं। उधर, एसपी एस आर राणा ने बताया कि 17 शव बरामद किए गए हैं।