शिमला, 13 अगस्त : हिमाचल विधानसभा के स्पीकर विपिन सिंह परमार को हटाने का विपक्षी दल कांग्रेस का नोटिस सदन में खारिज हो गया। विपक्ष की गैर मौजूदगी में सत्ता पक्ष ने इस नोटिस को तकनीकी आधार पर सही नहीं पाया और इसे खारिज कर दिया। दरअसल विपक्षी सदस्यों ने विस अध्यक्ष को हटाने के लिए शुक्रवार को विधानसभा सचिव को नोटिस थमाने के बाद सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। विपक्ष ने विस अध्यक्ष पर एक विशेष विचाराधारा को त्वज्जो देने एवं पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था।
इस मामले पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन के भीतर कहा कि कांग्रेस का विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नोटिस का तरीका व्यवस्था के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि तकनीकी आधार पर यह नोटिस स्वीकार करने योग्य नहीं है, क्योंकि इसके लिए सदन के एक तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है। उन्होंने मानसून सत्र के अंतिम दिन इस तरह का नोटिस देने पर हैरानी जताई और कहा कि यदि कांग्रेस ने ऐसा कुछ करना था, तो उसे पहले इस मुद्दे पर सदन में चर्चा करनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों ने अपनी राजनीति चमकाने और खबरों में बने रहने के लिए विस अध्यक्ष को हटाने का मुद्दा उछाला है।
इससे पहले, इस मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने पहले एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें नोटिस को रद्द करने की बात कही थी, लेकिन बाद में माकपा विधायक राकेश सिंघा द्वारा इस मामले पर सदन में अपनाए गए तरीके पर आपत्ति जताए जाने के बाद सुरेश भारद्वाज ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और कहा कि सदन के नियमों के मुताबिक यह नोटिस स्वतः ही रद्द हो गया है।
उन्होंने कहा कि संविधान और विधानसभा संचालन नियमों के तहत इस तरह के नोटिस को एक तिहाई सदस्यों की सहमति के साथ 14 दिन पहले देने का प्रावधान है। लेकिन विपक्ष ने ऐसा नोटिस मानसून सत्र की आखिरी बैठक में दिया, जो कि स्वीकार्य ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए समाप्त हो जाएगा और ऐसे में इस नोटिस का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता।