रिकांगपिओ, 12 अगस्त : हिमाचल के किन्नौर के निगुलसरी में भी कुदरत ने आने वाले खतरे के संकेत दिए थे। मगर ये बात, कोई समझ नहीं पाया। अन्यथा, मृतकों का आंकड़ा कम हो सकता था। दरअसल, कुछ देर पहले ही भयंकर भूस्खलन से पहले ही सड़क पर छोटे-छोटे पत्थर गिरे हुए थे, जो आने वाले खतरे का संकेत थे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क के प्रतिनिधि जीता नेगी ने घटनास्थल का जायजा लेने के दौरान जब बारीक जानकारियां जुटाने का प्रयास किया तो खुलासा हुआ कि वहां दो वाहन चालकों के बीच पासिंग को लेकर बहसबाजी हो रही थी। जबकि सड़क पर बिखरे छोटे-छोटे पत्थर आने वाले खतरे का संकेत दे रहे थे। अगर, चालकों के बीच बहसबाजी नहीं होती तो हादसे में मृतकों की संख्या इतनी नहीं होती। पासिंग को लेकर बहस के दौरान कई अन्य वाहनों को भी ब्रेक लगानी पड़ी। इसी दौरान पलक झपकते ही पहाड़ी से गिरी चट्टानों की चपेट में कई वाहन आ गए।
उधर, ऐसा भी माना जा रहा है कि निगम की बस को तलाशने में भी गलतफहमी हुई। सर्च ऑपरेशन की शुरूआत से ही यही माना गया कि बस सड़क पर ही मलबे के नीचे हो सकती है। सर्च ऑपरेशन शुरू होने में ही कई घंटे लग गए थे। देर शाम तक जब पूरे हाईवे से मलबा हटाया गया तो बस का कोई सुराग नहीं लगा। तब जाकर ये महसूस हुआ कि बस मलबे के साथ खाई में लुढ़क चुकी है। वीरवार सुबह 8 बजे के आसपास बस का सुराग लगा लिया गया, लेकिन अंतिम समाचार तक भी यात्रियों का कोई पता नहीं चल पाया। वीरवार को जो शव बरामद किए गए, वो बेहद ही क्षत-विक्षिप्त हालत में थे। शवों की तस्वीरें विचलित करने वाली हैं।
उधर, वीरवार को घटनास्थल का दृश्य रूला देने वाला था। सगे-संबंधियों की तलाश नम आंखों से की जा रही थी। घटनास्थल पर अपनों की तलाश में पहुंचे लोगों का कहना था कि सड़क के नीचे सर्च करने पर शवों की बरामदगी हो सकती थी। उनका कहना था कि पहले रेस्क्यू ऑपरेशन सड़क पर गिरे मलबे को हटाने से किया गया। इस दौरान सड़क का मलबा पत्थरों सहित सड़क से नीचे की और फैंका गया। किसी केे भी बचने की उम्मीद शून्य हो गई। दीगर है कि 25 जुलाई को सांगला-छितकुल मार्ग पर भी एक दिन पहले ही भूस्खलन हुआ था, मगर इससे सबक नहीं लिया गया। अगले दिन 9 पर्यटकों की दर्दनाक मौत हो गई।
मेरे पापा की बाॅडी मिल गई है, मगर सिर….
घटनास्थल से रेस्क्यू ऑपरेशन की पोल खोलने वाले लोकेंद्र सिंह वैदिक ने लिखा कि मेरे पापा की बाॅडी मिल गई है, सिर नहीं मिला। बता देें कि लोकेंद्र सिंह ने घटनास्थल से सर्च ऑपरेशन में की जा रही लापरवाही को लेकर फेसबुक लाइव किया था। आरोप लगाया था कि शिमला की तरफ से 6 घंटे तक भी सर्च ऑपरेशन शुरू नहीं हुआ था। उल्लेखनीय है कि बुधवार को आनी के विधायक किशोरी लाल परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुंचे थे। लोकेंद्र के पिता मोरंग-हरिद्वार बस में सफर कर रहे थे। मृत पिता की शिनाख्त हुक्म राम निवासी नालागई डाकघर पोशना तहसील निरमंड, कुल्लू के तौर पर की गई।