चंबा, 05 अगस्त : 41 साल बाद भारत की हॉकी टीम ने ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता है। इस जीत से जहां पूरे देश में ख़ुशी की लहर है। चंबा जनपद में दोहरी ख़ुशी का माहौल है।
उपमंडल डलहौजी के तहत आती ग्राम पंचायत ओसल के गांव खलंदर निवासी 26 वर्षीय वरुण कुमार भी भारत की इस जीत में भागीदार बना है। वरुण का जन्म 25 जुलाई 1995 को खलंदर गांव में हुआ था। वर्तमान में वह अपने परिवार सहित पंजाब के जालंधर में रह रहे है। वरुण कुमार के पिता ब्रह्मानंद रोजी रोटी की तलाश में जालंधर के मीठापुर में रह रहे है। वरुण के पिता ब्रह्मानंद पेशे से ट्रक ड्राईवर हैं। वो मिट्ठापुर गांव में ट्रक चलाकर परिवार का जीवन यापन करते है।
वरुण ने डीएवी स्कूल में पढ़ाई की है। वरुण कुमार को हॉकी खेलने का जुनून था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। वरुण अपने सपनों को साकार करने के लिए काफी यत्न किए। वो भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह बचपन के दोस्त थे। स्कूल में दोनों एक साथ हॉकी खेला करते थे। शुरुआत में वरुण हॉकी को लेकर गंभीर नहीं थे। लेकिन मनप्रीत द्वारा उन्हें प्रेरित किया गया। दोनों साथ में सुरजीत हॉकी अकादमी पहुंचे।
हॉकी का असर उनकी पढ़ाई पर भी पढ़ा। साल 2012 में उन्हें पंजाब की टीम में अपना पर्दापण किया। जबकि तब वह केवल 17 ही साल के थे। अपने शानदार डिफेंस के कारण स्टेट चैंपियनशिप में वह लोगों की नजरों में आ गए थे। इसी साल वह जूनियर वर्ल्ड कप की टीम के लिए भी चुने गए थे। लेकिन चोटिल होने के कारण वह खेल नहीं पाए। इसके बाद उन्हें साल 2016 में वर्ल्ड कप के लिए चुना गया।
उन्होंने यहां अपने प्रदर्शन से टीम को दूसरी बार यह खिताब जीतने में मदद की। इसके अगले ही साल उन्होंने सीनियर टीम में डेब्यू किया और बेल्जियम के खिलाफ गोल करके टीम को जीत दिलाई थी। साल 2016 में ही हॉकी इंडिया लीग में उन्हें महज 18 साल की उम्र में पंजाब वॉरियर्स ने खरीद लिया था।