शिमला, 3 अगस्त : प्रदेश हाईकोर्ट ने आईजीएमसी में रोगियों को खाना वितरण करने वाली कैंटीन के आवंटन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पाया है कि उक्त कैंटीन का आवंटन नियमों के विपरीत किया जा रहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई।
प्रार्थी यदुपति ठाकुर द्वारा दायर याचिका के अनुसार आईजीएमसी में रोगियों के लिए खाना वितरण वाली कैंटीन का आवंटन नियमों के विपरीत हुआ है। आरोप है कि कैंटीन अधिकतम दर्रों पर आवंटित की गई है, जिससे सरकारी राजकोष पर अवांछित भार पड़ेगा। प्रार्थी के अनुसार कैंटीन आवंटन की प्रक्रिया 2020 में पूरी कर दी गई थी जबकि इस बाबत वित्तीय स्वीकृति फरवरी 2021 में ली गयी।
प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन ने पूरी निविदा एक व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने इरादे से की है। प्रार्थी ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस आवंटन प्रक्रिया को अवैध घोषित कर रद्द किया जाए। इस याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था।
बता दें कि युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदुपति ठाकुर ने कुछ माह पहले जिला में पत्रकार वार्ता कर कैंटीन आवंटन में बड़ा घोटाला होने की आशंका जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी अस्पताल प्रशासन मरीजों को खाना बनाने का आवंटन का काम खुद करता था, जिसका खर्चा साल का केवल दो करोड़ आता था, लेकिन इसी काम को पांच करोड़ में आउटसोर्स पर आवंटित किया गया।
युवा कांग्रेस का कहना था कि जिस फर्म को ये टेंडर दिया गया, उसी फर्म को पहले मेडिकल कॉलेज नेरचौक में भी काम दिया गया। दोनों ही कॉलेज में टेंडर के वक्त एक ही प्रिंसिपल कार्यरत हैं। ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर में जानबूझकर ऐसी शर्त जोड़ी गई ताकि कंपनियां बाहर हो जाएं।