नाहन, 31 जुलाई : जीवन में हर कोई अपने कैरियर में बेहतरीन करने की कोशिश करता है, मगर ऐसा मौका काफी कम लोगों को मिलता है, जब उन्हें अलग-अलग क्षेत्र में अपनी काबलियत (ability) साबित करने का अवसर मिले। ऐसा मौका शहर के रहने वाले राजेश सोलंकी को हासिल हुआ है।
24 जुलाई 1986 को संगड़ाह में रसायनविज्ञान (chemistry) के प्रवक्ता के तौर पर अपना कैरियर शुरू करने वाले सोलंकी का 35 वर्षाें का कैरियर शानदार रहा है। 2017 में सोलंकी को प्रदेश में विज्ञान व प्रौद्योगिकी (science and technology) को प्रमोट करने पर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (Life Time Achievement Award) से नवाजा गया। राज्य स्तरीय चिल्ड्रन साईंस कांग्रेस (Children Science Congress) के कार्यक्रम में प्रदेश के पर्यावरण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने सोलंकी को इस अवार्ड से नवाजा था।
1998 तक सिरमौर के अलग-अलग विद्यालयों में टीचिंग से जुड़े रहे। इसके बाद एससीईआरटी (SCERT) सोलन में बतौर परियोजना अधिकारी (Project Officer) 2001 तक सेवाएं प्रदान की। फिर हिमाचल के विज्ञान, प्रौद्योगिकी व पर्यावरण परिषद (Council of Science, Technology and Environment) में वैज्ञानिक अधिकारी (scientific officer) के तौर पर सेवाएं शुरू कर दी। इस दौरान उन्हें राज्य में विज्ञान को प्रमोट करने की जिम्मेदारी भी मिली। प्रदेश में उपमंडल, जिला व राज्य स्तर तक चिल्ड्रन साईंस कांग्रेस (Children Science Congress) के आयोजन में सोलंकी की अहम भूमिका रही है। इसके बाद ही 16 छात्रों की टीम ने नेशनल चिल्ड्रन साईंस कांग्रेस में हिस्सा लेने का मौका हासिल किया।
2012 में शिमला के गेयटी थियेटर (Gaiety Theater) में ‘‘ट्रांजिट ऑफ़ वीनस’’ से जुड़ी सफल इवेंट का आयोजन करवाया। कैमिकल व बाॅयोलाॅजिकल वारफेर (chemical and biological warfare) की फील्ड में ग्वालियर में डीआरडीओ (DRDO) से प्रशिक्षण भी हासिल किया। 2014 में पर्यावरण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के तौर पर जिम्मेदारी शुरू करने का अवसर मिला। 2017 तक इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे।
टीचिंग के क्षेत्र में लौटने से पहले वो साईंस व टैक्नोलाॅजी की फील्ड में 18 साल का सफर तय कर चुके थे। इसके बाद पांवटा साहिब में बतौर प्रिंसीपल (Principal) बनकर वापस लौट आए। यहां से उनका तबादला (Transfer) मोगीनंद स्कूल में हुआ। शुक्रवार को शिक्षा के क्षेत्र में करीब 18 व नाॅन टीचिंग फील्ड में 17 सेवाएं देने के बाद राजेश सोलंकी रिटायर (Retired) हो गए।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सोलंकी ने कहा कि वो खुद को सौभाग्यशाली (Lucky) मानते हैं कि राज्य में उस समय साईंस को प्रमोट करने का अवसर मिला, जब मोबाइल फोन भी प्रयोग में नहीं थे। धीरे-धीरे चिल्ड्रन साईंस कांग्रेस का छात्रों में भारी रूझान (trend) पैदा हो गया। उनका कहना था कि लंबे अनुभव में उन्होंने पाया है कि छात्रों में नई खोज करने की काफी जिज्ञासा (Curiosity) है। अगर उन्हें सही दिशा मिले तो प्रदेश से कई साईंटिस्ट (scientist) पैदा हो सकते हैं।